उत्तर प्रदेश : विद्यार्थियों की उपस्थिति अनिवार्य नहीं, बंद भी किए जा सकते हैं स्कूल – डॉ. दिनेश शर्मा
लखनऊ, 19 अगस्त। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने कहा है कि राज्य के स्कूलों में विद्यार्थियों की उपस्थिति अनिवार्य नहीं है और तनिक भी प्रतिकूल संकेत मिलने पर स्कूलों को बंद भी किया जा सकता है। विधान परिषद में गुरुवार को प्रश्नकाल के दौरान शिक्षक दल के सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी द्वारा पूछे गए सवाल पर नेता सदन डॉ. दिनेश शर्मा ने यह संकेत दिया।
गौरतलब है कि राज्य में कोरोना संक्रमण के काफी कम हो चुके मामलों को ध्यान में रखते हुए कक्षा नौ से 12 तक के स्कूल-कॉलेज गत 16 अगस्त से खोले जा चुके हैं जबकि कक्षा छह से आठ तक के स्कूल 23 अगस्त से खोले जाने हैं और एक सितम्बर से कक्षा एक से पांचवीं तक के स्कूलों को खोलने की तैयारी की जा रही है।
डॉक्टर दिनेश शर्मा ने सदन को जानकारी देते हुए बताया, ‘बेसिक शिक्षा में उपस्थिति को अनिवार्य नहीं किया गया है। हमने नौ से 12 तक की कक्षाओं के लिए भी उपस्थिति को अनिवार्य नहीं किया है। अभिभावकों और शिक्षकों तथा राजनीतिक संगठनों द्वारा भी कहा गया है कि चाहे कम समय के लिए ही सही, लेकिन ऑफलाइन शिक्षण कार्य कराया जाए। यूपी में अभी जो वातावरण है, इसमें हम सुरक्षा की तरफ बढ़ चुके हैं, लेकिन अगर चिंता के संकेत मिले तो हम स्कूलों को बंद भी कर सकते हैं।’
शिक्षक दल के सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने जताई चिंता
दरअसल, ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह से सवाल पूछा था कि क्या अब तक टीका नहीं लगवाने वाले शिक्षकों और 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए टीकाकरण की कोई व्यवस्था की गई है या नहीं। सपा सदस्य रुद्र प्रकाश ने भी अनुपूरक सवाल के जरिए इस पर चिंता जताते हुए कहा कि टीकाकरण कराए बगैर छोटे बच्चों को स्कूल भेजना क्या खतरनाक नहीं है? नरेश उत्तम पटेल ने स्वास्थ्य मंत्री से कहा कि विद्यालय खुल गए हैं, ऐसे में कोविड-19 संक्रमण बच्चों में फैलने को लेकर जो चिंता है, उसे कैसे दूर किया जाएगा।
इस पर डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि 18 वर्ष से कम आयु के लोगों के लिए अभी टीका बना ही नहीं है और उम्मीद है कि सितम्बर में यह टीका आ जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री जयप्रकाश सिंह ने कहा कि टीका उपलब्ध होने पर अभियान चलाकर टीकाकरण कराया जाएगा।