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दिल्ली में मेयर का चुनाव फिर टला, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी -मनोनीत सदस्य नहीं कर सकते मतदान

दिल्ली में मेयर का चुनाव फिर टला, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी -मनोनीत सदस्य नहीं कर सकते मतदान

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नई दिल्ली, 13 फरवरी। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मेयर का 16 फरवरी को भी प्रस्तावित चुनाव टल गया है। इसकी वजह सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी रही, जिसने सोमवार को कहा कि मनोनीत सदस्य एमसीडी मेयर चुनाव में वोट नहीं दे सकते। शीर्ष अदालत इस फैसले के साथ ही अब 17 फरवरी को मामले की सुनवाई करेगी। शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी मौखिक की गई है और 16 फरवरी तक कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया है।

दरअसल, आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। आम आदमी पार्टी की ओर से मेयर पद की उम्मीदवार शैली ओबेरॉय ने याचिका में मनोनीत सदस्यों को महापौर के चुनाव में मतदान करने से प्रतिबंधित करने की मांग की थी।

कोर्ट में चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने सुनवाई को 17 फरवरी तक स्थगित करते हुए कहा कि मनोनीत सदस्य चुनाव के लिए नहीं जा सकते, यह संवैधानिक प्रावधान बहुत स्पष्ट है। इस संबंध में दिल्ली के उप राज्यपाल की ओर से पेश हुए एएसजी संजय जैन ने पीठ से कहा कि अदालत मामले की सुनवाई होने चक चुनाव स्थगित कर सकती है।

एमसीडी चुनाव हुए 2 माह बीत चुके हैं

दिल्ली नगर निगम चुनाव को हुए करीब दो महीने बीत चुके हैं, लेकिन अब तक दिल्ली मेयर का चुनाव संभव नहीं हो सका है। पिछली तीन बार से जब भी सदन में चुनाव का आयोजन किया गया तो ‘आप’ और भाजपा के पार्षदों द्वारा जोरदार हंगामे के कारण चुनाव टल गया। दिल्ली एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 134 सीटें प्राप्त कर जीत हासिल की है, वहीं भाजपाको 104 वार्डों में जीत मिली है।

ऐसे में आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह अपने पार्षदों को सदन में हंगामा करने के लिए कहती है ताकि मेयर का चयन न हो सके। सुप्रीम कोर्ट के पास आज सुनवाई के लिए समय कम होने के कारण कोर्ट ने 17 फरवरी तक सुनवाई स्थगित कर दी।

कोर्ट में याचिकार्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ को बताया कि संविधान के अनुच्छेद 243आर ने इसे बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि मनोनीत सदस्यों को सदन में वोट देने का हक नहीं है। शैली ओबेरॉय की याचिका में दिल्ली नगर निगम के सदन के प्रोटेम पीठासीन अधिकारी को हटाने की भी मांग की गई है।

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