नेपाल की राह पर फ्रांस! सड़कों पर जमकर प्रदर्शन, 80 हजार पुलिसकर्मी तैनात
पेरिस, 10 सितम्बर। एशियाई देश नेपाल में पिछले तीन दिनों से जारी ‘जेन-जी’ के हिंसक प्रदर्शनों के बीच जहां प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली सहित कई अन्य मंत्रियों के इस्तीफे सामने आ चुके हैं और स्थिति पर नियंत्रण के लिए मंगलवार की रात से नेपाली सेना ने मोर्चा संभाल रखा है वहीं एक यूरोपीय देश फ्रांस भी इस समय बवाल मचा हुआ है।

‘ब्लॉक एवरीथिंग’ नाम से शुरू हुए अभियान में सब कुछ अस्त-व्यस्त
राजधानी पेरिस स्थित अन्य शहरों की सड़कों पर अराजकता और संसद में अस्थिरता दोनों से देश जूझ रहा है। बुधवार सुबह पेरिस सहित कई बड़े शहरों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव हुआ। ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ नाम से शुरू हुए इस अभियान ने पूरे देश में परिवहन व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया है। अकेले पेरिस में 200 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
नकाबपोश प्रदर्शनकारियों ने जगह-जगह कचरे के डिब्बे और बैरिकेड्स लगाकर सड़कें जाम कर दीं। बोरदॉ और मार्से जैसे शहरों में भीड़ ने चौराहों को घेर लिया। पुलिस पर फ्लेयर्स और बोतलें फेंकी गईं जबकि राजधानी के रेलवे हब गारे दू नॉर स्टेनश पर भी प्रदर्शनकारियों ने धावा बोला।

राष्ट्रपति मैक्रों ने 24 घंटे पहले ही नए पीए लेकोर्नू की नियुक्ति की है
पुलिस का कहना है कि गिरफ्तार किए गए अधिकतर लोग सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि, अधिकारियों का अनुमान है कि जैसे-जैसे दिन बढ़ेगा, भीड़ और भड़क सकती है। यह हिंसक आंदोलन ऐसे समय में हुआ है, जब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने महज 24 घंटे पहले ही देश के नए प्रधानमंत्री सेबास्टियन लेकोर्नू की नियुक्ति की है।
विश्वास मत हारने के बाद पूर्व पीएम बायरो को देना पड़ा था इस्तीफा
लेकोर्नू ने संसद में भरोसा खो चुके पूर्व पीएम फ्रांस्वा बायरो की जगह ली है। बायरो को सोमवार रात अपने ही विश्वास मत में हारने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था। बायरो ने देश का कर्ज कम करने के लिए करीब £35 अरब (लगभग 3.7 लाख करोड़ रुपये) की कटौती योजना पेश की थी, लेकिन यह सख्त कदम जनता को रास नहीं आया और उनकी सरकार गिर गई। अब पूरे फ्रांस में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। सरकार ने 80,000 से ज्यादा पुलिस और सुरक्षा बल तैनात किए हैं ताकि इस आंदोलन को काबू में किया जा सके।
प्रदर्शनकारी लूटपाट पर उतारू
प्रदर्शनकारी न सिर्फ रेल और सड़क यातायात रोक रहे हैं बल्कि तेल डिपो, सुपरमार्केट और पेट्रोल पंपों को भी निशाना बना रहे हैं। सोशल मीडिया पर कुछ समूहों ने तो लोगों से दुकानों में लूटपाट की अपील तक कर डाली है। यह नया आंदोलन फ्रांस के कुख्यात ‘यलो वेस्ट्स’ आंदोलन की याद दिला रहा है, जिसने कुछ वर्ष पहले मैक्रों को अपनी नीतियों में बदलाव करने पर बाध्य कर दिया था।
