
मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह ने दिया इस्तीफा, आज ही दिल्ली में अमित शाह से की थी मुलाकात
इम्फाल, 9 फरवरी। पिछले लगभग 22 माह से जातीय हिंसा के चलते अशांत पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सोमवार को विधानसभा में उनके खिलाफ पेश होने वाले अविश्वास प्रस्ताव से पहले आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया। बीरेन सिंह शाम को भाजपा सांसद संबित पात्रा, मणिपुर सरकार के मंत्री और विधायकों के साथ राजभवन पहुंचे और राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया।
गृह मंत्रालय का सभी सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश
इससे पहले बीरेन सिंह ने आज ही दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी। फिलहाल उनके इस्तीफे से एक तरफ राज्य में जहां राजनीतिक हलचल तेज हो गई है वहीं गृह मंत्रालय ने सभी सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश जारी किया है।
बीरेन सिंह को लेकर भाजपा विधायकों में ही चल रही थी नाराजगी
गौरतलब है कि मणिपुर में सीएम बीरेन सिंह को लेकर लंबे समय से भाजपा विधायकों में भी नाराजगी चल रही थी। भाजपा के 19 विधायकों ने पिछले वर्ष अक्टूबर में बीरेन सिंह को सीएम पद से हटाने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भेजी थी।
19 विधायकों ने पिछले वर्ष अक्टूबर में पीएम मोदी को भेजी थी चिट्ठी
पीएम मोदी को प्रेषित पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में विधानसभा अध्यक्ष थोकचोम सत्यव्रत सिंह, मंत्री थोंगम विश्वजीत सिंह और युमनाम खेमचंद सिंह भी शामिल थे। पत्र में कहा गया था कि मणिपुर के लोग भाजपा सरकार से सवाल कर रहे हैं कि राज्य में अब तक शांति क्यों नहीं बहाल हुई है। यदि जल्द समाधान नहीं निकला तो विधायकों से इस्तीफा देने की मांग भी की जा रही है।
विपक्ष के निशाने पर भी थे बीरेन सिंह
वस्तुतः राज्य में जातीय हिंसा को लेकर बीरेन सिंह के खिलाफ कड़ी नाराजगी थी। नाराज विधायकों के पत्र से पहले बीरेन सिंह ने पद छोड़ने से साफ इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था -‘मैं इस्तीफा क्यों दूं? क्या मैंने कुछ चुराया है? क्या मेरे खिलाफ किसी घोटाले का आरोप है? क्या मैंने राष्ट्र या राज्य के खिलाफ काम किया है?’ अपनी पार्टी के अलावा बीरेन सिंह जातीय हिंसा के ही मुद्दे पर विपक्ष के निशाने पर भी थे। कुकी संगठन उन पर जातीय हिंसा में मैतेई समुदाय का पक्ष लेने का आरोप लगा रहा था।
मणिपुर में मई, 2023 से जारी है हिंसा का दौर
गौरतलब है कि मणिपुर में तीन मई, 2023 की रात जातीय हिंसा उग्र रूप से भड़की थी और तब से यह पूर्वोत्तर राज्य कमोबेश अशांत ही है। बीते 21 माह के दौरान सूबे में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच तनाव बढ़ने के कारण कई बार हिंसक झड़पें हुई हैं, जिससे सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और हजारों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है।
मैतेई और कुकी समुदायों के बीच लंबे समय से जमीन, आरक्षण और राजनीतिक प्रतिनिधित्व को लेकर विवाद चल रहा है। इसी बीच एक समुदाय राज्य में सरकार पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाता रहा है। राज्य में बीते कुछ महीनों में बड़े पैमाने पर झड़पें हुई हैं, जिसमें कई लोग हताहत हुए हैं, केंद्र सरकार ने हालात को काबू में करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती भी की है।