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AI इंजीनियर अतुल सुभाष आत्महत्या केस : जौनपुर में ससुराल पर लटका ताला  

AI इंजीनियर अतुल सुभाष आत्महत्या केस : जौनपुर में ससुराल पर लटका ताला  

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जौनपुर, 12 दिसम्बर। बेंगलुरु में दो दिन पूर्व AI इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या का मामला सुर्खियों में छाया हुआ है। अतुल ने आत्महत्या से पहले अपने 24 पन्ने के सुसाइड नोट व 80 मिनट के वीडियो में न सिर्फ पत्नी व ससुराल वालों पर गंभीर आरोप लगाए हैं बल्कि देश की न्यायिक प्रक्रिया को भी कठघरे में ला खड़ा किया है।

चूंकि अतुल ने सुसाइड के पीछे पत्नी सहित ससुराल पक्ष के अन्य सदस्यों को सीधे जिम्मेदार ठहराया है, लिहाजा जौनपुर स्थित अतुल की ससुराल भी चर्चा में आ गई। हालांकि ससुराल पक्ष के लोगों ने बुधवार को मीडिया से दूरी बनाए रखी और देर रात वे घर में ताला लगाकर कहीं चले गए। चर्चा यह भी है कि सभी ने अग्रिम जमानत के लिए हाई कोर्ट का रुख किया है।

अतुल ने सुसाइड नोट में क्या लिखा

बेंगलुरु स्थित निजी कम्पनी में उप महाप्रबंधक पद पर कार्यरत 34 वर्षीय अतुल सुभाष मूलरूप से बिहार रहने वाले थे। आत्महत्या करने से पहले करीब 80 मिनट के वीडियो में अतुल ने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया सहित ससुरलीजनों और एक न्यायिक अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए। अतुल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है – ‘मैं पैसे देने से मना करता हूं और मैं मौत को गले लगाता हूं क्योंकि मैं यह नहीं चाहता कि मेरे विरोधी इन पैसों का प्रयोग मेरे परिजनों को परेशान करने के लिए करें।’ उन्होंने आगे लिखा कि न्याय न मिले तो कोर्ट के बाहर गटर में उनकी अस्थियों को बहा दिया जाए। अतुल की इस व्यथा से न्याय प्रक्रिया भी सुर्खियों में आ गई है।

पिता बोले – न्यायालय द्वारा बेटे को परेशान किया गया

अतुल सुभाष के पिता पवन कुमार ने ‘मध्यस्थता न्यायालय’ पर कानून के अनुसार काम न करने का आरोप लगाया और बताया कि किस तरह से उनके बेटे को न्यायालय द्वारा परेशान किया गया। पिता ने बताया कि पत्नी द्वारा दायर मामलों के कारण उसे बार-बार जौनपुर न्यायालय में बुलाया जाता था। अतुल कम से कम 40 बार बेंगलुरु से जौनपुर आया था। पवन कुमार ने बहू निकिता के बारे में कहा कि वह एक के बाद एक आरोप लगाती रहती थी।

भाई विकास ने दर्ज कराई शिकायत

मृतक अतुल के भाई विकास ने सुभाष की पत्नी, सास, साले और चचिया श्वसुर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने अतुल के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराई और समझौते के लिए तीन करोड़ रुपये मांगे। शिकायत में विकास ने कहा कि झूठी शिकायत और उसके बाद की घटनाओं ने, जिसमें बड़ी रकम की मांग भी शामिल है, सुभाष को मानसिक और शारीरिक रूप से तोड़ दिया, जिससे आखिरकार उसे यह घातक कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

कोर्ट ने बेटे के लिए 40 हजार प्रति माह भुगतान का दिया था आदेश

अतुल के अधिवक्ता दिनेश मिश्र ने कहा कि यदि किसी को कोर्ट के आदेश पर आपत्ति है तो बड़ी अदालत का रुख कर सकता है। उन्होंने कहा कि अतुल की पत्नी खुद एक कम्पनी में जॉब करती है, इसलिए उसे गुजारा भत्ता नहीं देने का आदेश हुआ। अतुल को लग रहा था उसके खिलाफ नाइंसाफी हुई है। उसे हाई कोर्ट जाना चाहिए था, लेकिन उसने आत्महत्या कर ली। आत्महत्या के पीछे कोर्ट की कोई गलती नहीं है। वहीं अधिवक्ता अवधेश तिवारी ने बताया कि करीब पांच माह पूर्व कोर्ट ने अतुल के चार वर्षीय बेटे के खर्च के लिए 40 हजार रुपये प्रति माह देने का ऑर्डर किया था, जिसके बाद से अतुल अवसाद में आ गया।

पत्नी निकिता ने अतुल पर लगाए ये आरोप

जौनपुर नगर कोतवाली क्षेत्र स्थित मधारे टोला निवासी अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया ने दीवानी न्यायालय में भरण पोषण का मुकदमा दाखिल किया था। उसने बताया था कि 26 जून, 2019 को उसकी शादी अतुल से हुई थी। विवाह के बाद ससुराल वाले 10 लाख रुपये दहेज की मांग को लेकर उसे प्रताड़ित करते थे। इस सदमे में उसके पिता की मृत्यु हो गई।

निकिता के अनुसार परिवार वालों को समझाने पर विपक्षी उसे बेंगलुरु ले गया। 20 फरवरी, 2020 को विपक्षी से उसे एक पुत्र पैदा हुआ किन्तु विपक्षी की प्रताड़ना जारी रही। 17 मई, 2021 को उसे मारपीट कर घर से निकाल दिया गया, तब से वह अपने बच्चे के साथ मायके में रह रही है।

निकिता ने दो लाख रुपये भरण पोषण की मांग की थी

निकिता ने अपने और पुत्र के लिए दो लाख रुपये भरण पोषण की मांग की। वादिनी स्वयं नौकरी करती है। कोर्ट ने 29 जुलाई, 2024 को पत्नी के संबंध में प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया तथा अतुल को आदेश दिया कि वह बच्चे को 40 हजार रुपये प्रतिमाह उसके वयस्क होने तक भरण पोषण अदा करे। इसके अलावा दहेज उत्पीड़न के मुकदमे में भी अतुल ने कोर्ट से जमानत कराई थी। घरेलू हिंसा का भी मुकदमा चल रहा है।

इस बीच अतुल ने आत्महत्या कर ली। अतुल के अधिवक्ता अवधेश तिवारी ने बताया कि दौरान मुकदमा किसी प्रकार के भ्रष्टाचार की बात प्रकाश में नहीं आई है। सामान्य तरीके से मुकदमा चला और कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनकर उचित आदेश पारित किया।

 

 

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