
लोकसभा में वक्फ बिल पर चर्चा में बोले किरेन रिजिजू – ‘बिल नहीं लाते तो संसद भी वक्फ की संपत्ति होती’
नई दिल्ली, 2 अप्रैल। संसद में आज वक्फ बिल पर मोदी सरकार की परीक्षा की घड़ी है। इस क्रम में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में वक्फ बिल पर चर्चा शुरू करते हुए कहा कि इस विधेयक में वक्फ बोर्ड के किसी भी धार्मिक काम में सरकार की ओर किसी हस्तक्षेप की योजना नहीं है।
‘संसद की बिल्डिंग पर भी वक्फ ने क्लेम किया‘
किरेन रिजिजू ने अपने भाषण के दौरान कुछ पुराने दस्तावेजों का उल्लेख करते हुए कहा कि संसद की बिल्डिंग पर भी वक्फ बोर्ड ने क्लेम किया। वक्फ ने दिल्ली के एयरपोर्ट और वसंत विहार पर भी अपना दावा पेश किया था। बिल नहीं लाते तो संसद भी वक्फ की संपत्ति होती। इस पर विपक्ष की तरफ से आपत्ति जताई गई। रिजिजू ने कहा, ‘मैं दस्तावेजों के आधार पर कह रहा हूं। यदि यूपीए की सरकार कंटीन्यू रहती तो ये लोग न जाने कितनी संपत्तियां वक्फ को दे देते।’
‘वक्फ बिल में धार्मिक कार्यकलापों में हस्तक्षेप का प्रावधान नहीं‘
जब रिजिजू ने कहा कि हम किसी भी मस्जिद के संचालन में हस्तक्षेप करने नहीं जा रहे, तब विपक्ष की ओर से किसी ने टिप्पणी की। स्पीकर ओम बिरला ने टोकते हुए नसीहत दी कि भारत की संसद में बैठे हो, गरिमा का ध्यान रखो। किसी भी व्यक्ति को बैठे-बैठे टिप्पणी का अधिकार नहीं है।
किरेन रिजिजू ने आगे कहा, ‘ये मस्जिद या धार्मिक क्रियाकलापों से जुड़ा मामला नहीं है। यह बस एक संपत्ति के मैनेजमेंट से जुड़ा विषय है। कोई मुसलमान जकात देता है तो उसे पूछने वाले हम कौन होते हैं। हम तो बस उसके मैनेजमेंट से जुड़ी बात कर रहे हैं। इसका धार्मिक व्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं है।’
रविशंकर प्रसाद ने कहा – इससे गरीब मुसलमानों का कल्याण होगा
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए सत्ता पक्ष की ओर से भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वह जिस राज्य बिहार से आते हैं, वहां बहुत बड़ी संख्या में गरीब मुस्लिम रहते हैं। उनके कल्याण के लिए सरकार यह बिल लाई है। इससे गरीब मुस्लिमों का कल्याण होगा।
उन्होंने कहा, ‘मुझे तो समझ नहीं आ रहा कि विपक्ष के मित्र कहना क्या चाहते हैं? वक्फ बिल में संशोधन होना चाहिए और नहीं भी होना चाहिए.. दोनों तर्क कैसे चलेगा? भारत के संविधान के मौलिक अधिकार में धारा 15 है, जिसमें लिखा है कि महिलाओं के साथ कोई भेद नहीं होगा और यदि सरकार नए बिल में महिलाओं के अधिकार के लिए कानून ला रही है तो सरकार का यह कदम गैर संवैधानिक कैसे हो गया?’ उन्होंने कांग्रेस के संविधान की लाल किताब दिखाने पर कहा, “आज मैं आपको संविधान की ‘हरी किताब’ दिखाऊंगा, जो संसद में रखी हुई है।”
विपक्ष की ओर कांग्रेस से उप नेता गौरव गोगोई ने इस चर्चा की शुरुआत की। कांग्रेस सहित समूजा विपक्ष इस बिल को लेकर आपत्ति जता रहा है तो वहीं भाजपा और एनडीए के उसके सहयोगी इस बिल को ऐतिहासिक बदलाव बता रहे हैं।
चर्चा के लिए किसको कितना समय मिला?
स्पीकर ओम बिरला ने बिल पर चर्चा के लिए आठ घंटे का समय तय किया है, जिसमें से NDA को 4 घंटे 40 मिनट दिए गए हैं। बाकी 3 घंटे 20 मिनट का वक्त विपक्ष को मिला है। हालांकि विपक्ष ने चर्चा के लिए 12 घंटे का वक्त मांगा है। इस पर रिजिजू का कहना है कि चर्चा का समय बढ़ाया जा सकता है।