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मानवाधिकार आयोग चयन समिति की बैठक में खरगे और राहुल ने जताई असहमति, जानें क्या कहा…

मानवाधिकार आयोग चयन समिति की बैठक में खरगे और राहुल ने जताई असहमति, जानें क्या कहा…

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नई दिल्ली, 24 दिसंबर। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी तथा राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष और सदस्यों के चयन को लेकर इस आधार पर अपनी असहमति दर्ज कराई कि चयन के लिए अपनाई गई प्रक्रिया ‘‘मौलिक रूप से त्रुटिपूर्ण’’ और ‘‘पूर्व-निर्धारित’’ थी तथा इसमें आपसी परामर्श और आम सहमति की अनदेखी की गई थी। उन्होंने अध्यक्ष पद के लिए न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति कुट्टीयिल मैथ्यू जोसेफ के नाम प्रस्तावित किए थे।

हालांकि, उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वी. रामसुब्रमण्यम को एनएचआरसी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा का कार्यकाल एक जून को पूरा होने के बाद से मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष का पद रिक्त पड़ा था।

आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को चुनने के लिए चयन समिति की बैठक 18 दिसंबर को संसद भवन में हुई। अपने असहमति पत्र में खरगे और गांधी ने इस आधार पर अपनी असहमति दर्ज कराई कि समिति द्वारा अपनाई गई चयन प्रक्रिया मूलतः दोषपूर्ण थी।

उनके असहमति पत्र में कहा गया है, ‘‘यह एक पूर्व-निर्धारित कवायद थी, जिसमें आपसी परामर्श और आम सहमति की स्थापित परंपरा को नजरअंदाज किया गया, जो ऐसे मामलों में आवश्यक है। यह रवैया निष्पक्षता के सिद्धांतों को कमजोर करता है, जो चयन समिति की विश्वसनीयता के लिए महत्वपूर्ण हैं।’’

खरगे और गांधी ने कहा कि विचार-विमर्श को बढ़ावा देने और सामूहिक निर्णय सुनिश्चित करने के बजाय, समिति ने नामों को अंतिम रूप देने के लिए संख्या की दृष्टि से बहुमत पर भरोसा किया और बैठक के दौरान उठाई गई वैध चिंताओं और दृष्टिकोणों की अनदेखी की। उन्होंने कहा कि एनएचआरसी एक महत्वपूर्ण वैधानिक निकाय है जिसका काम सभी नागरिकों, विशेषकर समाज के पीड़ित एवं हाशिए पर पड़े वर्गों के मौलिक मानवाधिकारों की रक्षा करना है।

अपने असहमति पत्र में उन्होंने कहा, ‘‘इस कार्य को पूरा करने की इसकी क्षमता काफी हद तक इसकी संरचना की समावेशिता और प्रतिनिधित्व पर निर्भर करती है। विविधतापूर्ण नेतृत्व यह सुनिश्चित करता है कि एनएचआरसी विभिन्न समुदायों, विशेष रूप से मानवाधिकार उल्लंघन के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील समुदायों के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों के प्रति संवेदनशील बना रहे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने योग्यता और समावेश की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए अध्यक्ष पद के लिए न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति कुट्टीयिल मैथ्यू जोसेफ के नाम प्रस्तावित किए थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अल्पसंख्यक पारसी समुदाय के प्रतिष्ठित न्यायविद न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन अपने गूढ़ बौद्धिक ज्ञान एवं संवैधानिक मूल्यों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके शामिल होने से भारत के बहुलवादी समाज का प्रतिनिधित्व करने के लिए एनएचआरसी की प्रतिबद्धता के बारे में एक मजबूत संदेश जाता।’’

खरगे और गांधी ने कहा कि इसी प्रकार, अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय से ताल्लुक रखने वाले उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति जोसेफ ने लगातार ऐसे फैसले दिए हैं जिनमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता और हाशिए पर पड़े समूहों की सुरक्षा पर जोर दिया गया है, जिससे वह इस महत्वपूर्ण पद के लिए आदर्श उम्मीदवार होते। उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, सदस्यों के पद के लिए हमने न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति अकील अब्दुल हमीद कुरैशी के नामों की सिफारिश की। इन दोनों का मानवाधिकारों को कायम रखने में उत्कृष्ट रिकॉर्ड है।’’

दोनों नेताओं ने कहा कि न्यायमूर्ति मुरलीधर को सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाने वाले उनके ऐतिहासिक निर्णयों के लिए व्यापक रूप से सम्मान प्राप्त है, जिसमें हिरासत में हिंसा और नागरिक स्वतंत्रता की सुरक्षा पर उनका काम भी शामिल है तथा मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित न्यायमूर्ति कुरैशी ने लगातार संवैधानिक सिद्धांतों की रक्षा की है और शासन में जवाबदेही के लिए मजबूत प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है।

गत 18 दिसंबर को दिए गए असहमति पत्र में कहा गया है कि उनके शामिल किए जाने से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की प्रभावशीलता और विविधता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता में योगदान मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अगले अध्यक्ष का चयन करने के लिए 18 दिसंबर को बैठक की थी।

चयन समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा भारत के किसी पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) या शीर्ष अदालत के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश को एनएचआरसी अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

एनएचआरसी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘माननीय राष्ट्रपति ने न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम (सेवानिवृत्त) को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का अध्यक्ष और प्रियंक कानूनगो एवं डॉ. न्यायमूर्ति बिद्युत रंजन सारंगी (सेवानिवृत्त) को इसका सदस्य नियुक्त किया है।’’

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