कर्नाटक सरकार का आदेश – हिजाब पहने छात्राओं को 12वीं की बोर्ड परीक्षा में बैठने की इजाजत नहीं
बेंगलुरु, 2 मार्च। दक्षिणी राज्य कर्नाटक में बोर्ड परीक्षाओं के नजदीक आते ही हिजाब मुद्दा फिर गरमाने लगा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने नौ मार्च से शुरू हो रही प्री-यूनिवर्सिटी (पीयू) की द्वितीय वर्ष की वार्षिक परीक्षा में शामिल होने की उन छात्राओं के अनुरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि स्नातक कॉलेजों के प्राचार्यों और अन्य को हिजाब पहनने की अनुमति नहीं है।
स्कूली शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा, ‘चूंकि हिजाब का मामला सुप्रीम कोर्ट में है, वार्षिक परीक्षा के दौरान हिजाब की अनुमति देने का सवाल ही नहीं उठता। इसलिए हम इस बात को गंभीरता से नहीं लेते कि कौन सी छात्रा परीक्षा में फेल हो जाती है।’
सूत्रों के अनुसार उडुपी, चिक्काबल्लापुर, चामराजनगर और बेंगलुरु ग्रामीण जिलों में स्नातक कॉलेजों की कुछ मुस्लिम छात्राओं ने संबंधित कॉलेजों के प्राचार्यों से हिजाब पहनकर परीक्षा देने की अनुमति देने का आग्रह किया है।
एक कॉलेज के प्रधानाचार्य ने कहा, ‘पिछले हफ्ते परीक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति के लिए दो अनुरोध आए थे और हमने उन्हें सिरे से खारिज कर दिया। सभी छात्र-छात्राओं को परीक्षा के नियमों का पालन अनिवार्य रूप से करना चाहिए।’
सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुका है परीक्षा में हिजाब पहनने का मामला
इस बीच पिछले हफ्ते हिजाब पहनकर परीक्षा में बैठने देने की अनुमति के लिए याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गई। सुप्रीम कोर्ट ने लड़कियों को हिजाब पहनकर परीक्षा में बैठने की अनुमति देने संबंधी याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने की बात कही है।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ को बताया गया कि हिजाब पर प्रतिबंध के मुद्दे पर शीर्ष अदालत के खंडित फैसले के बाद, लड़कियों को हिजाब पहनकर नौ मार्च से शुरू होने वाली परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
गौरतलब है कि चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता (अब सेवानिवृत्त) और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ के खंडित फैसले के कारण कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला अब भी प्रभावी है। पिछले साल 13 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के खंडित फैसले के चलते हिजाब विवाद का स्थायी समाधान नहीं हो पाया था। दोनों जजों ने मामले को एक वृहद पीठ के समक्ष रखने का सुझाव दिया था। इससे पहले कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 15 मार्च, 2022 को अपना सुनाते हुए हिजाब पर प्रतिबंध जारी रखा था, जिसके खिलाफ कई याचिकाएं शीर्ष अदालत पहुंची थी।