देहरादून, 13 जनवरी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) ने जोशीमठ की उपग्रह छवियां जारी की हैं। पता चला है कि जोशीमठ में 27 दिसम्बर 2022 और आठ जनवरी 2023 के बीच 12 दिनों में 5.4 सेंटीमीटर का तेजी से धंसाव दर्ज किया गया है। अप्रैल 2022 और नवम्बर 2022 के बीच जोशीमठ में नौ सेंटीमीटर की धीमी गिरावट देखी गई थी।
जोशीमठ भू-धंसाव क्षेत्र घोषित
एनआरएससी ने कहा कि दिसम्बर के अंतिम सप्ताह और जनवरी के पहले सप्ताह के बीच तेजी से जमीन धंसने की घटना शुरू हुई थी। सेटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि आर्मी हेलीपैड और नरसिंह मंदिर सहित सेंट्रल जोशीमठ में सबसिडेंस जोन स्थित है। धंसाव का ताज जोशीमठ-औली रोड के पास 2,180 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। जोशीमठ को चमोली जिला प्रशासन द्वारा भू-धंसाव क्षेत्र घोषित कर दिया गया है क्योंकि सैकड़ों घरों में कुछ दिनों के भीतर दरारें आ गईं और परिवारों को स्थानांतरित करना पड़ा क्योंकि उनके घरों को खतरनाक के रूप में पहचाना गया है।
खराब मौसम के कारण होटलों का ध्वस्तीकरण बीच में रोका गया
राज्य सरकार ने जहां 1.5 लाख रुपये के अंतरिम राहत पैकेज की घोषणा की है और पुनर्वास पैकेज पर काम कर रही है वहीं दो होटलों का विध्वंस गुरुवार को शुरू हुआ, लेकिन खराब मौसम के कारण फिर से रोक दिया गया। स्थानीय लोगों और निवासियों के विरोध के कारण कुछ दिनों के लिए यांत्रिक विध्वंस को रोक दिया गया था। केवल होटल मलारी इन और माउंट व्यू होटल को ध्वस्त किया जाएगा क्योंकि उनका अस्तित्व आसपास के ढांचे के लिए खतरनाक है। प्रशासन ने आश्वासन दिया कि अब तक कोई अन्य घर नहीं गिराया जाएगा।
इस बीच जोशीमठ के डूबने का विश्लेषण करने के लिए कई विशेषज्ञ टीमों को लगाया गया है जबकि एनटीपीसी जलविद्युत परियोजना के लिए सुरंग खोदने के काम को विशेषज्ञों द्वारा दोषी ठहराया जा रहा है। एनटीपीसी ने हालांकि एक बयान जारी कर दावा किया कि उनकी सुरंग जोशीमठ के नीचे से नहीं गुजर रही है। वहीं उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गुरुवार को राज्य सरकार से चमोली जिले के भूमि धंसाव प्रभावित जोशीमठ कस्बे के लिए एक मजबूत योजना बनाने का निर्देश दिया।