IOA ने भंग की तदर्थ समिति, बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह को मिला WFI का पूर्ण नियंत्रण
नई दिल्ली, 19 मार्च। भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह ने मंगलवार से भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) का पूर्ण प्रभार संभाल लिया। दरअसल, भारतीय ओलम्पिक संघ (IOA) ने WFI का निलंबन हटा दिया और साथ ही उसे पूर्ण प्रशासनिक नियंत्रण मिलने के बाद कुश्ती की तदर्थ समिति भी भंग कर दी।
आईओए ने कहा कि राष्ट्रीय महासंघ का निलंबन रद होने के बाद इस समिति की कोई जरूरत नहीं है। एडहॉक कमेटी ने डब्ल्यूएफआई के सहयोग से अगले महीने के ओलम्पिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट के लिए चयन ट्रायल का सफल आयोजन कर लिया है। उल्लेखनीय है कि बृजभूषण पर महिला एथलीटों के यौन उत्पीड़न का आरोप है।
WFI अध्यक्ष संजय सिंह ने IOA को धन्यवाद दिया
डब्ल्यूएफआई प्रमुख संजय सिंह ने चुनाव में जीत दर्ज करने वाली समिति को राष्ट्रीय महासंघ के संचालन का जिम्मा देने के लिए IOA का शुक्रिया किया। उन्होंने कहा, ‘हम डब्ल्यूएफआई का पूर्ण नियंत्रण देने के लिए आईओए को धन्यवाद देते हैं। हम पहलवानों को सारी सुविधाएं देंगे। हम जल्द ही राष्ट्रीय शिविर आयोजित करेंगे। यदि पहलवान विदेश में अभ्यास करना चाहते हैं तो हम ये सुविधा भी देंगे। अब पूरा ध्यान ओलम्पिक पर है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि हमारे 5-6 पहलवान क्वालिफाई करेंगे।’
WFI पर नियमों के उल्लंघन का लगा था आरोप
संजय सिंह के नेतृत्व में नवनिर्वाचित WFI पर अपने नियमों के उल्लंघन का आरोप लगा था। इसके बाद 23 दिसम्बर को भूपेंदर सिंह बाजवा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय तदर्थ समिति का गठन किया गया था। समिति ने इस महीने की शुरुआत में अप्रैल में किर्गिस्तान में होने वाली एशियाई चैम्पियनशिप और एशियाई ओलम्पिक क्वालीफायर के लिए टीमों का चयन करने के लिए ट्रायल का आयोजन किया था। इस ट्रायल में विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने भी भाग लिया था। विनेश फोगाट 50 किग्रा वर्ग में ओलम्पिक क्वालीफायर में जीत दर्ज करने में सफल रही, लेकिन बजरंग को हार का सामना करना पड़ा था।
सुरक्षा समिति अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश
ट्रायल के सफल समापन के बाद खेल की बागडोर डब्ल्यूएफआई को सौंप दी गई है। आईओए ने WFI को यौन उत्पीड़न और नियमों के पालन जैसे अन्य मुद्दों की चिंताओं को दूर करने के लिए सुरक्षा समिति अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया। आईओए के पत्र में कहा गया, ‘यूडब्ल्यूडब्ल्यू के निर्देश के मुताबिक यह जरूरी है कि डब्ल्यूएफआई दुर्व्यवहार और उत्पीड़न की चिंताओं को दूर करने और नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए जल्द से जल्द सुरक्षा समिति अधिकारी नियुक्त करे।’ WFI को स्थापित प्रक्रियाओं के अनुसार समयबद्ध तरीके से एथलीट आयोग के चुनाव कराने का भी निर्देश दिया गया है। डब्ल्यूएफआई की निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में खिलाड़ियों के प्रतिनिधित्व और भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए यह कदम आवश्यक है।
संजय सिंह ने कहा, ‘जिस दिन मैंने चुनाव जीता, आप जानते हैं कि वह मेरे लिए कांटों का ताज था। रुकावटों के बावजूद हमने हर चीज की कोशिश की, जो कर सकते थे। चाहे वह राष्ट्रीय चैम्पियनशिप का आयोजन करना हो, या दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक तदर्थ समिति को अधिकारी और रेफरी प्रदान करना हो। मुझे यकीन है कि यह हमारे लिए संघर्ष का अंत है।’
एडहॉक कमेटी को भंग करने पर उठे सवाल
इस घटनाक्रम से जुड़े एक करीबी सूत्र ने कहा कि वह तदर्थ पैनल को भंग करने के आईओए के कदम से आश्चर्यचकित हैं। उन्होंने कहा, ‘खेल मंत्रालय ने पिछले साल दिसम्बर में डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया था और उसने अब तक निलंबन रद करने के आदेश जारी नहीं किए हैं। मामला अदालत में है, इसलिए यह आश्चर्य की बात है कि आईओए ने एडहॉक पैनल को क्यों भंग कर दिया?’