नई दिल्ली, 14जनवरी। भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की रफ्तार को लेकर 2026 में भी दुनियाभर की रेटिंग एजेंसियां सकारात्मक नजर आ रही हैं। क्रिसिल इंटेलिजेंस की सोमवार को आई रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले वित्त वर्ष (वित्तीय वर्ष 26) में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर सुधरकर 6.7 प्रतिशत पर पहुंच सकती है। साथ ही, खाद्य मुद्रास्फीति में निरंतर गिरावट और गैर-खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी से आने वाले महीनों में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद बनेगी।
खाद्य मुद्रास्फीति में लगातार दूसरे महीने कमी आने और गैर-खाद्य मुद्रास्फीति में स्थिरता आने के साथ ही मुख्य मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के 4 प्रतिशत मुद्रास्फीति लक्ष्य की ओर बढ़ती रही। नवंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 5.5 प्रतिशत से घटकर 5.2 प्रतिशत पर आ गई और खाद्य मुद्रास्फीति 9 प्रतिशत से घटकर 8.4 प्रतिशत पर आ गई, जबकि गैर-खाद्य मुद्रास्फीति 3.1 प्रतिशत पर रही।
क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है, “इस वित्त वर्ष में हमें सीपीआई मुद्रास्फीति औसतन 4.6 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जिसमें पूर्वानुमान में कुछ वृद्धि का पूर्वाग्रह है।” औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) नवंबर में बढ़कर 5.2 प्रतिशत हो गया, जो अक्टूबर में 3.7 प्रतिशत था (3.5 प्रतिशत से संशोधित)।
यह वृद्धि मुख्य रूप से निवेश वस्तुओं और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं में बेहतर प्रदर्शन के कारण हुई, जबकि कम आधार प्रभाव ने भी इसमें योगदान दिया। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के पहले अग्रिम अनुमानों में पिछले वित्त वर्ष के 8.2 प्रतिशत से 6.4 प्रतिशत की वृद्धि का संकेत मिलता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “हमें उम्मीद है कि हमारे मौजूदा परिदृश्य में अगले वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि सुधरकर 6.7 प्रतिशत हो जाएगी। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती, कच्चे तेल की कम कीमत और सामान्य मानसून से वृद्धि को समर्थन मिलने की उम्मीद है।”
कृषि विकास में वृद्धि की संभावना है क्योंकि जलाशयों का उच्च स्तर भी रबी उत्पादन के लिए अच्छा संकेत है। इससे कृषि आय और ग्रामीण खपत को बढ़ावा मिलेगा। उच्च कृषि उत्पादन से इस वित्त वर्ष की शेष अवधि में खाद्य मुद्रास्फीति पर दबाव कम होने की संभावना है, जिससे खपत को बढ़ावा मिलेगा।