कांग्रेस को झटका : गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर में पार्टी प्रचार समिति का अध्यक्ष पद ठुकराया
नई दिल्ली, 17 अगस्त। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पार्टी की प्रचार समिति का अध्यक्ष पद ठुकरा दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को ही यह जिम्मेदारी सौंपी थी। लेकिन उन्होंने अपनी नियुक्ति के कुछ ही घंटे बाद शीर्ष नेतृत्व को झटका दे दिया।
शीर्ष नेतृत्व के आलोचक समूह के प्रमुख सदस्य माने जाते हैं आजाद
उल्लेखनीय है कि गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह के प्रमुख सदस्य हैं। यह समूह पार्टी नेतृत्व का आलोचक रहा है और एक संगठनात्मक बदलाव की मांग करते आया है। आजाद को राज्यसभा से सेवानिवृत्त होने के बाद दोबारा उच्च सदन में भी नहीं भेजा गया था।
सोनिया गांधी ने एक दिन पहले ही संगठन में की थीं कई नियुक्तियां
सोनिया गांधी ने मंगलवार को ही जम्मू-कश्मीर में संगठन में सुधार के तौर पर विकार रसूल वानी को प्रदेश इकाई का नया अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता रमन भल्ला को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है। पूर्व पीडीपी नेता तारिक हामिद कर्रा को अभियान समिति के उपाध्यक्ष के रूप में नामित किया गया है। लेकिन इन नियुक्तियों को सार्वजनिक किए जाने के कुछ घंटे बाद पता लगा कि आजाद ने कांग्रेस अध्यक्ष का प्रस्ताव स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
गुलाम अहमद मीर की जगह विकार रसूल वानी नए प्रदेश अध्यक्ष
हालांकि वानी ने गुलाम अहमद मीर की जगह ली है, जिन्होंने आठ वर्षों तक इस पद पर रहने के बाद जुलाई में इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि सोनिया ने गुलाम अहमद मीर का प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा स्वीकार कर लिया और उनके स्थान पर रसूल वानी को अध्यक्ष नियुक्त किया। आजाद के करीबी माने जाने वाले वानी प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और बानिहाल से विधायक रह चुके हैं।
जम्मू-कश्मीर कांग्रेस कमेटी के लिए 7 समितियों का गठन
बयान में कहा गया है कि सोनिया गांधी ने जम्मू-कश्मीर कांग्रेस कमेटी के लिए चुनाव अभियान समिति और राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) समेत सात समितियों का भी गठन किया। पार्टी ने जम्मू-कश्मीर के लिए समन्वय समिति, घोषणापत्र समिति, प्रचार एवं प्रकाशन समिति, अनुशासन समिति और प्रदेश चुनाव समिति का भी गठन किया है।
जम्मू-कश्मीर में पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधान खत्म किए जाने के बाद से ही विधानसभा अस्तित्व में नहीं है। परिसीमन का काम संपन्न हो चुका है। फिलहाल सरकार की तरफ विधानसभा चुनाव की तिथि को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है।