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गौतम अडानी का दायरा अब इजराइल तक बढ़ा, हैफा बंदरगाह को लीज पर लेने जा रहा अडानी पोर्ट्स

गौतम अडानी का दायरा अब इजराइल तक बढ़ा, हैफा बंदरगाह को लीज पर लेने जा रहा अडानी पोर्ट्स

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अहमदाबाद, 15 जुलाई। एशिया के सबसे अमीर कारोबारी गौतम अडानी की एक कम्पनी अडानी पोर्ट्स का दायरा अब देश की सीमा से बाहर बढ़ रहा है। इस क्रम में भारत के सबसे बड़े बंदरगाह ऑपरेटर का दर्ज पहले ही पा चुका अडानी पोर्ट्स अब इजराइल के सबसे प्रमुख बंदरगाहों में से एक हैफा पोर्ट (Haifa Port) को करीब 9,500 करोड़ रुपये में लीज पर लेने जा रहा है। इजराइली सरकार ने इस आशय की घोषणा कर दी है।

गौतम अडानी ने भी खुद ट्वीट के जरिए इसकी जानकारी देते हुए खुशी जाहिर की है। अडानी ने ट्वीट में लिखा, ‘अपने पार्टनर गैडोट के साथ मिलकर इजराइल के हैफा पोर्ट के निजीकरण का टेंडर जीतकर उत्साहित हूं। यह दोनों देशों के लिए शानदार रणनीतिक व ऐतिहासिक महत्व रखता है। हैफा में आकर गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं, जहां भारतीयों ने साल 1918 में सैन्य इतिहास के सबसे शानदार कैवेलरी चार्जेज में से एक की अगुआई की थी।’

1.18 बिलियन डॉलर के करार में अडानी की साझेदार बनी स्थानीय कम्पनी गैडोट

इजराइल का यह अहम बंदरगाह भूमध्यसागर के तट पर स्थित है और इसका काफी ऐतिहासिक महत्व है। भूमध्यसागर के तट पर यह बंदरगाह व्यापार के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है। इजराइल ने कहा कि भारतीय कम्पनी अडानी पोर्ट्स और स्थानीय केमिकल्स एंड लॉजिस्टिक्स कम्पनी गैडोट मिलकर इस बंदरगाह को खरीदने जा रही हैं। इन दोनों ने मिलकर 4.1 बिलियन शेकेल्स (Shekels) की बोली लगाई थी, जिसे सबसे बड़ा पाया गया है। शेकेल्स इजरायल की आधिकारिक मुद्रा है। यह करीब 1.18 बिलियन डॉलर यानी करीब 9,429 करोड़ रुपये हो जाता है।

2 वर्षों की लंबी प्रक्रिया के बाद सफलता हाथ लगी

इजराइल के वित्त मंत्री एविगडोर लिबरमैन ने कहा कि हैफा बंदरगाह के निजीकरण से बंदरगाहों पर प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और जीवन-यापन की लागत में कमी आएगी। करीब दो वर्षों तक चली टेंडर की प्रक्रिया के बाद गैडोट और अडानी को यह सफलता हाथ लगी है। इजराइल को उम्मीद है कि अडानी के पास इस बंदरगाह के जाने से आयात की लागत कम होगी और लंबे वेट टाइम के लिए बदनाम इजरायली बंदरगाहों की छवि में सुधार होगा।

समझौते के तहत अडानी पोर्ट्स के पास 70 फीसदी हिस्सेदारी

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार डील के तहत अडानी पोर्ट्स के पास इस बंदरगाह में 70% हिस्सेदारी रहेगी। वहीं स्थानीय कम्पनी गैडोट के पास बाकी की 30% हिस्सेदारी रहेगी। इस बंदरगाह का मालिकाना हक मिलने के बाद अडानी की टक्कर सीधे चीन से होगी। इसी खाड़ी के निकट हाल ही में एक नया बंदरगाह शुरू हुआ है, जिसे चीन की कम्पनी शंघाई इंटरनेशनल पोर्ट ग्रुप चलाती है।

वर्ष 2054 तक हैफा बंदरगाह संभालेंगे अडानी

गौरतलब है कि इजराइल में करीब 98 फीसदी व्यापार समुद्र के रास्ते से किया जाता है। सरकार आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए इस सेक्टर को लगातार बेहतर बना रही है। हाल ही में पड़ोसी अरब देशों के साथ इजरायइल के रिश्ते बेहतर हुए हैं। इससे इजराइल के साथ-साथ अडानी को भी फायदा होने वाला है क्योंकि अरब देशों के साथ व्यापार के लिए हैफा सबसे अहम लोकेशन पर है। हैफा पोर्ट ने कहा कि नया ग्रुप वर्ष 2054 तक उसका संचालन संभालेगा। उसे जो बोली मिली, वह उम्मीद से काफी ऊपर है।

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