कोलकाता, 14 अगस्त। म्यूनिख ओलम्पिक 1972 की कांस्य पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के सदस्य, पूर्व खेल प्रशासर और दिग्गज टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस के पिता डॉ. वेस पेस का गुरुवार सुबह यहां निधन हो गया। पार्किंसन रोग सहित उम्रगत बीमारियों से पीड़ित 80 वर्षीय डॉ. वेस पेस को मंगलवार सुबह शहर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
खिलाड़ी से लेकर चिकित्सक तक बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे
खिलाड़ी से लेकर चिकित्सक तक बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. वेस पेस विभिन्न भूमिकाओं में लंबे समय तक भारतीय खेलों से जुड़े रहे। अपने जमाने में वह भारतीय हॉकी टीम में मिडफील्ड खिलाड़ी की हैसियत से खेलते थे। उन्होंने फुटबॉल, क्रिकेट और रग्बी जैसे कई खेल भी खेले और 1996 से 2002 तक भारतीय रग्बी फुटबॉल संघ के अध्यक्ष भी रहे।

खेल प्रशासक की भूमिका निभाने के अलावा डॉ. वेस पेस एशियाई क्रिकेट परिषद, भारतीय क्रिकेट बोर्ड और भारतीय डेविस कप टीम सहित कई खेल निकायों के साथ चिकित्सा सलाहकार के रूप में काम किया। वह कई वर्षों तक बीसीसीआई के डोपिंग रोधी कार्यक्रम का हिस्सा भी रहे।कलकत्ता क्रिकेट और फुटबॉल क्लब के अध्यक्ष भी रह चुके डॉ. वेस पेस का विवाह पूर्व बास्केटबॉल खिलाड़ी जेनिफर पेस से हुआ था। पेस ने 1964-65 में कोलकाता के प्रतिष्ठित प्रेसीडेंसी कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने लखनऊ के ला मार्टिनियर कॉलेज में भी पढ़ाई की।
डॉ. वेस पेस को जो लोग करीब से जानते थे, उनके लिए वह एक सौम्य स्वभाव वाले और अत्यंत बुद्धिमान व्यक्ति थे, जिन्होंने हॉकी के मैदान पर ओलम्पिक पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया और बाद में अपनी खेल चिकित्सा विशेषज्ञता से हॉकी, क्रिकेट, टेनिस और यहां तक कि फुटबॉल की भी मदद की।

पेस सीनियर लंबे समय तक अपने पुत्र व टेनिस स्टार लिएंडर के मैनेजर रहे
उनके पुत्र और दिग्गज टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस दुनिया को यह बताने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे कि उनके पिता उनके के लिए कितने मायने रखते हैं। पेस सीनियर लंबे समय तक उनके मैनेजर भी रहे और एक दशक तक भारतीय डेविस कप टीम के डॉक्टर भी रहे। पिता-पुत्र की यह जोड़ी भारत में सबसे प्रसिद्ध खेल जोड़ियों में से एक थी।
समकालीन हॉकी दिग्गजों ने दी श्रद्धांजलि
अजीत पाल सिंह : पूर्व खिलाड़ी और 1972 के ओलम्पिक खेलों के दौरान पेस के साथी खिलाड़ी अजीत पाल सिंह ने कहा, ‘यह भारतीय खेलों, खासकर हॉकी के लिए बहुत दुखद दिन है। पेस एक उच्च शिक्षित और मृदुभाषी व्यक्ति थे। वह खेल चिकित्सा के प्रति इतने समर्पित थे कि उन्होंने अपने हॉकी करिअर के बाद भी पूरी तरह से इसी पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने अपने खेल चिकित्सा करिअर में कई भारतीय खिलाड़ियों की मदद की थी। वह खेल चिकित्सा के बारे में मार्गदर्शन देकर हमारी मदद करते थे।’
वीरेन रासकिन्हा : भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान वीरेन रासकिन्हा ने कहा, ‘अब डॉक्टर (डॉ. पेस) जैसे लोग नहीं मिलते। इतने ज्ञानी, इतने स्नेही, इतने दयालु, इतने विनम्र, इतने खुशमिजाज। हमेशा मदद को तैयार। हमेशा मजाक करते रहते। मैं आपको हमेशा याद करूंगा डॉक्टर। आप सबसे बेहतरीन इंसान थे।’
बीपी गोविंदा : भारतीय पुरुष हॉकी टीम के पूर्व कप्तान बीपी गोविंदा ने उन्हें एक बेहद प्रतिभाशाली और जानकार व्यक्ति के रूप में याद किया और कहा कि अगर महासंघ के भीतर राजनीति न होती तो वह 1968 के ओलम्पिक का हिस्सा हो सकते थे।
अंदरूनी राजनीति के चलते 1968 की ओलम्पिक टीम का हिस्सा नहीं बन सके थे
गोविंदा ने कहा, ‘वह खेल और खेल चिकित्सा दोनों में बेहद प्रतिभाशाली थे। खेल चिकित्सा उनका जुनून था। हम 1972 के ओलम्पिक में साथ खेले थे, लेकिन मुझे लगता है कि अगर अंदरूनी राजनीति न होती तो उन्हें 1968 के ओलम्पिक टीम में भी होना चाहिए था। इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता था, क्योंकि वह बहुत मृदुभाषी और सच्चे सज्जन व्यक्ति थे। उन्होंने कभी किसी बात की शिकायत नहीं की।’
हरबिंदर सिंह : उनके एक अन्य साथी हरबिंदर सिंह ने कहा, ‘वह एक सच्चे सज्जन व्यक्ति थे। यह भारतीय हॉकी के लिए एक दुखद दिन है। मैंने घरेलू स्तर पर उनके खिलाफ काफी हॉकी खेली है। वह बंगाल और मैं रेलवे की तरफ से खेलता था।’
