चीन के लिए जासूसी : पत्रकार राजीव शर्मा पर ईडी का शिकंजा, मनी लॉन्ड्रिंग केस में कुर्क की संपत्ति
नई दिल्ली, 15 जनवरी। चीन के लिए जासूसी के आरोपित दिल्ली के स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। इस क्रम में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को बताया कि उसने पत्रकार की 48.21 लाख रुपये की आवासीय संपत्ति कुर्क की है। शर्मा पर कथित रूप से चीनी खुफिया अधिकारियों को संवेदनशील जानकारी लीक करने और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच चल रही है।
दिल्ली हाई कोर्ट से बीते हफ्ते शर्मा को मिली थी जमानत
ईडी ने एक बयान में कहा कि राजधानी दिल्ली के पीतमपुरा इलाके में स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा की संपत्ति कुर्क करने के लिए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत एक अस्थायी आदेश जारी किया गया है। अब तक एजेंसी की गिरफ्त में रहे शर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले सप्ताह जमानत दे दी थी।
चीनी और नेपाली नागरिकों से संचालित शेल कम्पनी उपलब्ध करा रही थी धन
एजेंसी के अनुसार जांच में पाया गया कि राजीव शर्मा ने धन के बदले चीनी खुफिया अधिकारियों को गोपनीय और संवेदनशील जानकारी की उपलब्ध कराई थी, जिससे देश की सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों से समझौता किया गया था। राजीव शर्मा को यह रकम महिपालपुर स्थित एक शेल कम्पनी द्वारा प्रदान की जा रही थी, जिसे एक नेपाली नागरिक शेर सिंह उर्फ राज बोहरा और झांग चेंग उर्फ सूरज, झांग लिक्सिया उर्फ उषा और किंग शी जैसे चीनी नागरिक चला रहे थे।
ईडी ने बयान में कहा कि यह चीनी कम्पनी राजीव शर्मा जैसे व्यक्तियों को रकम प्रदान करने के लिए चीनी खुफिया एजेंसियों के लिए एक कड़ी के रूप में काम कर रही थी। उसने दावा किया कि रकम का भुगतान नकद जमा के साथ ही नकद भुगतान के माध्यम से किया जा रहा था। एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया कि शर्मा ने आपराधिक गतिविधियों में अपनी संलिप्तता को छिपाने के लिए अपने दोस्त के बैंक खाते का उपयोग करके पैसे भी प्राप्त किए।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 14 सितंबर, 2020 को गिरफ्तारी की थी
एजेंसी का मामला 2020 में राजीव शर्मा के खिलाफ आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत दायर दिल्ली पुलिस की एफआईआर पर आधारित है। ईडी ने पिछले वर्ष इस मामले में चार्जशीट भी दाखिल की थी। आरोपित पत्रकार को 14 सितंबर, 2020 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया था। उन पर भारतीय सेना की तैनाती और देश की सीमा रणनीति के बारे में चीनी खुफिया अधिकारियों को जानकारी देने का आरोप लगाया गया था।