
जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पहुंची दिल्ली पुलिस की टीम, घर में उस जगह को सील किया, जहां मिले थे अधजले नोट
नई दिल्ली, 26 मार्च। दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास पर अधजले नोट मिलने के बाद मामले की जांच तेज हो गई है। इस क्रम में तुगलक रोड थाने के पुलिस अधिकारी बुधवार को जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर पहुंचे और दिल्ली पुलिस की टीम ने उस जगह को सील कर दिया, जहां अधजले नोट मिले थे।
इसके पूर्व मंगलवार को तीन जजों की कमेटी जस्टिस वर्मा के तुगलक रोड स्थित घर पहुंची थी। स्मरण रहे कि देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए तीन जजों को समिति गठित की है।
आवास के एक हिस्से को किया सील
सूत्रों ने बताया कि दिल्ली पुलिस की टीम करीब दो घंटे घटनास्थल पर रही, जिसके साथ नई दिल्ली के डीसीपी देवेश कुमार महला भी मौजूद थे। जांच कमेटी के कहने पर जिस जगह आग लगी थी, उस एरिया को सील करने के लिए यह टीम जस्टिस वर्मा के आवास पहुंची थी। जजों की तीन सदस्यीय कमेटी की मदद करने वाले हाई कोर्ट के अधिकारी भी जस्टिस वर्मा के घर गए थे और इस पूरी काररवाई की वीडियोग्राफी भी की गई है।
इससे पहले तीन जजों की एक टीम मंगलवार को करीब 45 मिनट तक जस्टिस वर्मा के घर रुकी। तीनों जज उस कमरे में भी गए, जहां जले हुए नोट मिले थे। जांच किस तरीके और किन नियमों के तहत आगे बढ़ेगी, यह कमेटी को खुद ही तय करना है।
जस्टिस वर्मा पर FIR दर्ज करने की मांग
उधर, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर जस्टिस वर्मा पर FIR दर्ज कराने की मांग की गई है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना की अगुआई वाली बैंच के सामने इस मामले की मेंशनिंग की गई और सर्वोच्च अदालत इस याचिका की सुनवाई के लिए तैयार हो गई है। याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली पुलिस को FIR दर्ज करने के निर्देश दिए जाएं क्योंकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन जजों की कमेटी बनाने का कोई औचित्य नहीं है।
मामले की जांच पुलिस को सौंपने की मांग को लेकर याचिका दाखिल
इस याचिका में मामले की जांच पुलिस को सौंपने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि न्यायपालिका में सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार को प्रभावी और सार्थक कदम उठाने चाहिए। याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलील दी कि यदि जस्टिस वर्मा की जगह कोई कारोबारी होता तो क्या उसे भी संदेह का लाभ देकर पुलिस जांच से छूट दी जा सकती थी। इस पर अदालत ने कहा, ‘आप मामले में कोई सार्वजनिक बयान न दें, हम याचिका को सुनवाई के लिए लिस्टेड करने को तैयार हैं।’