केंद्रीय गृह मंत्रालय का कड़ा फैसला : जहांगीरपुरी हिंसा मामले में 5 आरोपितों पर लगा एनएसए
नई दिल्ली, 19 अप्रैल। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजधानी के जहांगीरपुरी इलाके में हनुमान जयंती के अवसर पर निकाली गई शोभायात्रा के दौरान हुई हिंसा पर सख्त रुख अपना लिया है। इसी क्रम में दिल्ली पुलिस ने हिंसा में शामिल पांच आरोपितों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) लगा दिया है।
नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) या राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) एक ऐसा कानून है, जिसके तहत किसी खास खतरे के चलते व्यक्ति को हिरासत में लिया जा सकता है। अगर स्थानीय प्रशासन को किसी शख्स से देश की सुरक्षा और सद्भाव का संकट महसूस होता है तो ऐसा होने से पहले ही वह उस शख्स को पकड़ सकती है। यह कानून प्रशासन को किसी व्यक्ति को महीनों तक हिरासत में रखने का अधिकार देता है।
ज्ञातव्य है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक क थी। इस दौरान शाह ने पुलिस को हिंसा में शामिल आरोपितों के खिलाफ कड़ी काररवाई करने का आदेश दिया था। उन्होंने साथ यह भी कहा था कि ऐसी काररवाई की जाए, जो एक नजीर बने।
एक और आरोपित गिरफ्तार
इस बीच जहांगीरपुरी हिंसा मामले में पुलिस ने एक और आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है। पकड़े गए आरोपित गुलाम रसूल उर्फ गुल्ली पर आरोप है कि उनसे सोनू शेख को फायरिंग के लिए हथियार सप्लाई किए थे।
कोर्ट ने सोनू शेख को 4 दिनों की पुलिस रिमांड में भेजा
वहीं रोहिणी कोर्ट ने मंगलवार को सोनू शेख उर्फ इमाम उर्फ यूनुस को चार दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। पुलिस ने कोर्ट से सात दिनों की कस्टडी मांगी थी। दिल्ली पुलिस ने 28 वर्षीय सोनू को सोमवार को जहांगीरपुरी के सी-ब्लॉक से गिरफ्तार किया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार सोनू ने पुलिस पूछताछ में हिंसा के दौरान गोली चलाने की बात कबूल ली है। साथ ही पुलिस ने उसके पास से वह पिस्टल भी बरामद कर ली है।
ज्ञातव्य है कि जहांगीरपुरी में 16 अप्रैल को जुलूस पर पथराव के बाद हिंसा भड़क गई थी। इस घटना में आठ पुलिसकर्मी और एक नागरिक सहित नौ लोग घायल हो गए थे। वहीं, उपद्रवियों ने वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया था।
इस मामले में दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को दो मुख्य आरोपितों – असलम और अंसार की पुलिस हिरासत बढ़ा दी। वहीं, घटना के चार अन्य नए आरोपितों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।