दिल्ली दंगा : उमर खालिद और शरजील इमाम सहित सभी 10 आरोपितों की जमानत याचिकाएं दिल्ली हाई कोर्ट से खारिज
नई दिल्ली, 2 सितम्बर। दिल्ली हाई कोर्ट ने 2020 के दिल्ली दंगों की कथित साजिश से जुड़े यूएपीए मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और कार्यकर्ता शरजील इमाम समेत सभी 10 आरोपितों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं।
शरजील इमाम और उमर खालिद के अलावा मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, शादाब अहमद, अब्दुल खालिद सैफी व गुलफिशा फातिमा की याचिकाओं को रद किया गया है और फिलहाल इन्हें जेल में ही रहना होगा। एक अन्य बेंच ने आरोपित तस्लीम अहमद की जमानत याचिका खारिज कर दी।
हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने तस्लीम अहमद की जमानत याचिका पर आदेश पारित किया। वहीं, जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की पीठ ने नौ अन्य आरोपितों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। बेंच ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद गत नौ जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत में उमर खालिद और अन्य की पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि वह हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
गौरतलब है उमर खालिद और अन्य पर फरवरी, 2020 में भड़के दिल्ली दंगे की साजिश रचने का आरोप है। दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य पर दिल्ली दंगों का मास्टरमाइंड होने का आरोप लगाया था। इन सभी पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था।
सुनवाई के दौरान कार्यकर्ताओं ने कहा कि वह पहले ही चार से अधिक साल कस्टडी में रह चुके हैं। हालांकि, प्रॉसिक्यूशन का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इन दंगों की सुनियोजित साजिश रची गई थी। मेहता ने कहा कि वैश्विक स्तर पर भारत को बदनाम करने की साजिश रची गई थी। उन्होंने कहा कि अगर आप राष्ट्र के खिलाफ कुछ करोगे तो बेहतर है कि बरी होने तक जेल में ही रहो।
हिंसा में 50 से अधिक लोगों की हुई थी मौत
फरवरी, 2020 में दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाके में भीषण दंगे हुए थे। उन दौरान हुई हिंसा में 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए थे। पुलिस के अनुसार इन दंगों में लोगों की जान जाने के साथ साथ करोड़ों रुपये की संपत्ति का भी नुकसान हुआ था।
