नई दिल्ली, 24 मई। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एकल न्यायाधीश के उस आदेश में हस्तक्षेप से शुक्रवार को इनकार कर दिया, जिसमें आगामी पेरिस ओलम्पिक में चयन के लिए ट्रायल में निशानेबाज मानिनी कौशिक को भाग लेने की अनुमति देने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी गई थी। एकल पीठ ने आगामी पेरिस ओलम्पिक के ‘50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन’ महिला श्रेणी के ट्रायल में भाग लेने की अनुमति देने के अनुरोध वाली मानिनी कौशिक की याचिका 15 मई को खारिज कर दी थी।
दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मनमीत पी एस अरोड़ा की पीठ ने कहा कि एकल न्यायाधीश के फैसले को चुनौती देने वाली कौशिक की याचिका का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि प्रतियोगिता के लिए ट्रायल पहले ही हो चुके हैं। उसने कहा, ‘‘इसमें बहुत देर हो चुकी है। आपकी याचिका का कोई औचित्य नहीं है। यह (ट्रायल) खत्म हो गया है।’’
पीठ ने कहा कि इस चरण में, चुने गए खिलाड़ियों को अभ्यास करने का समय दिया जाना चाहिए ताकि वे प्रतियोगिता में भाग ले सकें अन्यथा ‘‘भारत को नुकसान होगा।’ पीठ ने कहा, ‘‘याचिका को निरर्थक बताकर उसका निपटारा किया जाता है।’’ कौशिक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने कहा कि उनकी मुवक्किल के साथ अनुचित व्यवहार किया गया और एकल न्यायाधीश ने गलत तथ्यात्मक जानकारी के आधार पर अपना फैसला सुनाया।
अदालत ने कहा कि ट्रायल 22 अप्रैल से 19 मई के बीच हुए थे और यदि याचिकाकर्ता को कुछ अन्य प्रतियोगिताओं से जान बूझकर बाहर रखा गया था तो उसे पहले ही याचिका दायर कर देनी चाहिए थी। एकल पीठ ने कहा था कि चयन की अर्हता विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई है और अदालत अपील पर सुनवाई नहीं कर सकती। याचिकाकर्ता ने पेरिस ओलंपिक चयन के लिए ट्रायल से उसे अलग करने को इस आधार पर चुनौती दी थी कि भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) को पात्रता में बदलाव के लिए 2023 में एक नया चयन मानदंड नहीं लाना चाहिए था।