नई दिल्ली, 23 मार्च। दिल्ली हाई कोर्ट ने शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया है।
इससे पहले दिन में केजरीवाल ने शनिवार शाम या रविवार तक मामले की तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। होली की छुट्टी के बाद 27 मार्च (बुधवार) को अदालत की कार्यवाही फिर शुरू होने के बाद अब मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख 55 वर्षीय केजरीवाल को केंद्रीय जांच एजेंसी ने गुरुवार की रात गिरफ्तार किया था और शुक्रवार को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें छह दिनों की ED की रिमांड में भेज दिया था। केजरीवाल ने हाई कोर्ट में अपनी याचिका में दलील दी कि गिरफ्तारी और रिमांड आदेश दोनों अवैध हैं और वह तुरंत हिरासत से रिहा होने के हकदार हैं। इसके पूर्व शुक्रवार को केजरीवाल ने ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका वापस ले ली थी क्योंकि पार्टी ने पहले ईडी हिरासत को चुनौती देने का फैसला किया।
प्रवर्तन निदेशालय ने रिमांड आवेदन की सुनवाई के दौरान अदालत में दलील दी थी कि केजरीवाल दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति घोटाले के ‘प्रमुख साजिशकर्ता और सरगना’ थे। ईडी ने यह भी दावा किया कि केजरीवाल तत्कालीन उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और तेलंगाना नेता के. कविता के संपर्क में थे, जिन्हें भी मामले में गिरफ्तार किया गया था। एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सीधे तौर पर नीति तैयार करने, रिश्वत मांगने और अपराध की आय को संभालने में शामिल थे।
वहीं केजरीवाल ने तर्क दिया है कि उन्हें कथित घोटाले से जोड़ने का कोई सबूत नहीं है। अदालत ने कहा कि ‘अपराध की शेष कमाई का खुलासा करने’ और ‘डिजिटल उपकरणों से प्राप्त डेटा और जांच के दौरान जब्त की गई सामग्री से उसका सामना कराने’ के लिए हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता थी। उन्हें 28 मार्च तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया।