रक्षा मंत्रालय ने लद्दाख में पेट्रोलिंग प्वॉइंट कम होने की रिपोर्ट को किया खारिज, कहा – ‘भारत ने कोई जमीन नहीं खोई…’
नई दिल्ली, 25 जनवरी। रक्षा मंत्रालय ने मीडिया में जारी उन खबरों का बुधवार को खंडन किया है कि भारत ने पूर्वी लद्दाख में अपनी जमीन का कोई भी हिस्सा खो दिया है। सेना का यह बयान उन खबरों के बाद सामने आया है, जिसमें कहा गया था कि भारत ने पूर्वी लद्दाख में 65 में से 26 गश्त बिंदुओं तक अपनी पहुंच खो दी है।
सेना की तरफ से जारी बयान में कहा गया, ‘विवादित इलाकों में भारत ने कोई ज़मीन नहीं खोई है। कुछ इलाकों पर जरूर दोनों पक्षों की गश्त रोकी गई है, लेकिन ऐसे इलाकों में हमारी तकनीकी उपस्थिति उतनी ही है, जितनी चीनी सेना की।’
पूर्वी लद्दाख में 65 में से 26 गश्त बिंदुओं तक पहुंच खोने की बात कही गई थी
गौरतलब है कि लद्दाख के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पीडी नित्या ने एक रिपोर्ट में कहा था, ‘वर्तमान में काराकोरम दर्रे से चुमुर तक 65 पीपी (गश्त बिंदु) हैं, जिन्हें आईएसएफ (भारतीय सुरक्षा बल) द्वारा नियमित रूप से गश्त किया जाना है। 65 पीपी में से 26 पीपी (यानी पीपी नंबर 5-) में हमारी उपस्थिति समाप्त हो गई है। 5-17, 24-32, 37 पर भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा कोई गश्त न करने के कारण ये हालात पैदा हुए हैं।’
पिछले हफ्ते दायर हुई थी रिपोर्ट
रिपोर्ट पिछले हफ्ते दिल्ली में देश के शीर्ष पुलिस अधिकारियों के वार्षिक सम्मेलन में दायर की गई थी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भाग लिया था। इसमें कहा गया था, “बाद में, चीन हमें इस तथ्य को स्वीकार करने के लिए मजबूर करेगा कि इन क्षेत्रों में लंबे समय से आईएसएफ या भारतीय नागरिकों की उपस्थिति नहीं देखी गई है। चीनी इन क्षेत्रों में मौजूद थे। इससे आईएसएफ के नियंत्रण वाले सीमा में बदलाव हो जाएगा। भारतीय पक्ष की ओर से ऐसे सभी पॉकेट्स के पास ‘बफर जोन’ बनाया जाता है। अंततः भारत का इन क्षेत्रों पर नियंत्रण समाप्त हो जाएगा।”
अधिकारी ने लिखा था, “पीएलए ने डी-एस्केलेशन वार्ता में अपने सर्वश्रेष्ठ कैमरों को उच्चतम चोटियों पर रखकर और हमारे सुरक्षा बलों के मूवमेंट की निगरानी करके बफर क्षेत्रों का लाभ उठाया है … वे बफर जोन में भी हमारे मूवमेंट पर आपत्ति जताते हैं। चीनी दावा करते हैं कि यह उनका क्षेत्र है और फिर हमें और अधिक ‘बफर’ क्षेत्र बनाने के लिए वापस जाने के लिए कहते हैं।”
पीडी नित्या ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि चीन की यह रणनीति गलवान घाटी में देखी गई थी, जहां 2020 में हिंसक झड़प हुई थी, जब आमने-सामने की लड़ाई में 20 भारतीय सैनिक और कम से कम चार चीनी सैनिक मारे गए थे। नित्या ने यह भी कहा कि क्षेत्रों को सीमा से बाहर चिह्नित करना और उन्हें खाली रखना भी सेना के मनोबल को प्रभावित करता है।