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‘सीएम इन वेटिंग’ अजित पवार ने बनाया रिकॉर्ड, छठी बार बने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम

‘सीएम इन वेटिंग’ अजित पवार ने बनाया रिकॉर्ड, छठी बार बने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम

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मुंबई, 5 दिसम्बर। महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री को लेकर पिछले 10 दिनों से चल रहा सस्पेंस अंततः गुरुवार को खत्म हो गया, जब देवेंद्र फडणवीस ने तीसरी बार राज्य के सीएम के रूप में शपथ ले ली। उनके साथ दो डिप्टी सीएम – एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने भी पद एवं गोपनीयता की शपथ ली।

4 मुख्यमंत्रियों के अधीन डिप्टी सीएम रहे हैं जूनियर पवार

फिलहाल इन सबमें चर्चा के केंद्र बिंदु अजित दादा पवार ही रहे, जिन्होंने अपने राजनीतिक करिअर में कई बार सीएम पद के लिए निगाहें गड़ाई थीं। लेकिन एक बार फिर उन्हें दूसरे सबसे महत्वपूर्ण पद (डिप्टी सीएम) से ही संतोष करना पड़ा।

राजनीतिक रूप से महत्वाकांक्षी और स्पष्ट रूप से अपनी बात कहने के लिए विख्यात 65 वर्षीय जूनियर पवार ने आज रिकॉर्ड छठी बार महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली। इस दौरान उन्होंने अब तक चार मुख्यमंत्रियों – पृथ्वीराज चह्वाण, देवेंद्र फडणवीस, उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के अधीन डिप्टी सीएम के रूप में काम किया है।

चाचा शरद पवार के संरक्षण में पले-बढ़े व राजनीति के गुर सीखे

इस सचाई से भी कोई इनकार नहीं कर सकता कि अजित पवार अपने चाचा व मराठा छत्रप शरद पवार के संरक्षण में पले-बढ़े और उनकी छत्रछाया में ही राजनीति के गुर सीखे, लेकिन अपने जीवन के शुरुआती दिनों में ही महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी जगह बनाने में सफल रहे।

कुशल प्रशासक के रूप में जाने जाते हैं बारामती से 8 बार के विधायक

वस्तुतः अजित पवार राजनीति के तूफानों में कई बार मुश्किलों में फंसे हैं, लेकिन उन्हें बारामती से आठ बार के विधायक और एक कुशल प्रशासक के रूप में जाना जाता है। चुनाव मैनेजमेंट और लीडरशिप में उनके अनुभव ने उन्हें जबर्दस्त लोकप्रियता दिलाई है।

महाराष्ट्र में 1978 से शुरू हुई डिप्टी सीएम की परंपरा

देखा जाए तो महाराष्ट्र में उप मुख्यमंत्री पद की परंपरा 1978 से शुरू हुई। नासिकराव तिरपुडे महाराष्ट्र के पहले उप मुख्यमंत्री थे। उसके बाद कई नेताओं ने अलग-अलग समय पर डिप्टी सीएम के तौर पर काम किया। हालांकि अजित पवार ने छठी बार यह पद संभालने के साथ नया रिकॉर्ड बना दिया।

10 नवम्बर, 2010 को पहली बार ली थी उप मुख्यमंत्री पद की शपथ 

नवम्बर 2004 में, आरआर पाटिल ने उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और चार वर्ष से ज्यादा समय तक इस पद पर रहे। उन्होंने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद इस्तीफा दे दिया। इसके बाद छगन भुजबल को उप मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया, जो 10 नवम्बर 2010 तक पद पर रहे। भुजबल के बाद सख्त प्रशासक की छवि रखने वाले अजित पवार ने पहली बार उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और तब से वह छह बार उप मुख्यमंत्री रहे हैं।

दरअसल, नवम्बर 2010 में अजित पवार ने चाचा शरद पवार के खिलाफ जाकर छगन भुजबल को उप मुख्यमंत्री बनाने का विरोध किया था। सितम्बर 2012 में 70,000 करोड़ रुपये के सिंचाई घोटाले में नाम आने के बाद भुजबल को इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि, तीन महीने बाद ही वह ‘क्लीन चिट’ के साथ सरकार में लौट आए।

चार मुख्यमंत्रियों के नेतृत्व में एक उप मुख्यमंत्री

  • अजित पवार ने पहली बार 10 नवम्बर, 2010 को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब पृथ्वीराज चह्वाण मुख्यमंत्री थे। इसके बाद वह 25 सितम्बर, 2012 तक उप मुख्यमंत्री रहे। फिर उन्होंने पृथ्वीराज चह्वाण के ही नेतृत्व में 25 अक्टूबर, 2012 को डिप्टी सीएम पद की शपथ ली और  26 सितम्बर 2014 तक इस पद पर रहे।
  • 23 नवम्बर, 2019 से 26 नवम्बर 2019 तक अजित पवार तीसरी बार उप मुख्यमंत्री रहे। तब उन्होंने देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में शपथ ली थी, लेकिन वह सरकार महज 80 घंटे में ही गिर गई। इस सरकार के पतन के तुरंत बाद 30 नवम्बर, 2019 से 29 जून, 2023 तक वह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे।
  • अजित पवार ने जून, 2023 में चाचा शरद पवार के खिलाफ विद्रोह कर दिया और महाविकास अघाड़ी से हट गए। इसके बाद उन्होंने 2 जुलाई, 2023 से 26 नवम्बर, 2024 तक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में देवेंद्र फडणवीस के साथ उप मुख्यमंत्री का पद संभाला। अब उन्होंने 5 दिसम्बर, 2024 को एकनाथ शिंद के साथ छठी बार उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

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