चीन की दादागिरी अब नहीं चलेगी : पीएम मोदी ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर पेश किया 12-प्वॉइंट प्लान
नई दिल्ली, 22 मई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पापुआ न्यू गिनी की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी में आयोजित हिंद-प्रशांत द्वीपीय सहयोग मंच (FIPIC) शिखर सम्मेलन के दौरान नई दिल्ली को प्रशांत द्वीपीय देशों के विश्वसनीय साझेदार के तौर पर पेश किया। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की मौजूदगी को और प्रभावी बनाने के मद्देनजर 12-बिंदु विकास कार्यक्रम का पेश किया, जो कि इस क्षेत्र के लिए हेल्थ सर्विस, साइबर स्पेस, स्वच्छ ऊर्जा, जल और छोटे व मध्यम उद्यमों के क्षेत्रों से जुड़ा है।
प्रशांत द्वीपीय देशों के साथ खड़े रहने की भारतीय प्रतिबद्धता जाहिर की
पीएम मोदी ने परोक्ष रूप से चीन का जिक्र करते हुए कहा कि जिन्हें विश्वासपात्र माना जाता था, वो जरूरत के समय इस क्षेत्र के साथ नहीं खड़े थे। मोदी ने शिखर सम्मेलन में 14 प्रशांत द्वीपीय देशों के शीर्ष नेताओं को बताया कि मुश्किल वक्त में दोस्त ही दोस्त के काम आता है। उन्होंने आश्वस्त किया कि भारत बिना किसी हिचकिचाहट क्षेत्र के साथ अपनी क्षमताएं साझा करने के लिए तैयार है। साथ ही कहा कि हम हर प्रकार से प्रशांत द्वीपीय देशों के साथ है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कोविड-19 महामारी और अन्य वैश्विक विकास के प्रतिकूल प्रभाव का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत चुनौतीपूर्ण समय में प्रशांत द्वीपीय देशों के साथ खड़ा रहा। कई देशों ने उन्हें बताया कि वे नई दिल्ली पर भरोसा कर सकते हैं क्योंकि यह उनकी प्राथमिकताओं का सम्मान करता है। साथ ही सहयोग के लिए इसका दृष्टिकोण मानवीय मूल्यों पर आधारित है।
चीन का नाम लिए बना कहा – ‘सच्चा दोस्त वही है, जो कठिन घड़ी में काम आए‘
पीएम मोदी ने सम्मेलन में किसी देश का नाम लिये बगैर कहा, ‘जिन्हें हम अपना विश्वासपात्र समझते थे, उनके बारे में ऐसा पाया गया कि वे जरूरत के समय हमारे साथ नहीं खड़े थे। इस मुश्किल दौर में पुरानी कहावत सही साबित हुई : सच्चा दोस्त वही है, जो कठिन घड़ी में काम आए।’
मुश्किल समय में भी प्रशांत द्वीपीय देशों के साथ खड़ा रहा भारत
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि भारत मुश्किल समय में भी अपने प्रशांत द्वीपीय देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा। फिर चाहे बात भारत में निर्मित टीकों की हो या आवश्यक दवाइयों की हो या गेहूं या चीनी की बात हो, भारत ने अपनी क्षमताओं के अनुसार अपने साथी देशों की मदद करना जारी रखा।’
तीन देशों की यात्रा के अपने दूसरे चरण में रविवार को पापुआ न्यू गिनी की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी पहुंचे पीएम मोदी ने प्रशांत द्वीपीय देशों के लिए स्वतंत्र व मुक्त हिंद प्रशांत की महत्ता को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत सभी देशों की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करता है। उन्होंने कहा, ‘भारत आपकी प्राथमिकताओं का सम्मान करता है। आपके विकास में साझेदार बनना हमारे लिए गर्व की बात है।’
लगातार आक्रामक रवैया अपना रहा चीन
प्रधानमंत्री ने ऐसे समय में ये टिप्पणियां की हैं, जब चीन क्षेत्र में आक्रामक रवैया अपना रहा है और प्रशांत द्वीपीय देशों पर अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिशें कर रहा है। मोदी ने द्वीपीय राष्ट्रों के लिए भारत की प्राथमिकता के बारे में कहा, ‘मेरे लिए आप छोटे द्वीपीय राष्ट्र नहीं है, बल्कि बड़े महासागरीय देश है। यह महासागर भारत को आप सब से जोड़ता है। भारतीय विचारधारा में पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में देखा जाता है।’
प्रधानमंत्री मोदी ने पानी की कमी की समस्या को हल करने के लिए प्रत्येक प्रशांत द्वीपीय देश को विलवणीकरण यूनिट्स मुहैया कराने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि दुनिया ने कोविड-19 के मुश्किल दौर और कई अन्य चुनौतियों का सामना किया है और उनका अधिकतर प्रभाव ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों ने झेला है।
स्वतंत्र और समावेशी हिंद-प्रशांत के लिए मजबूत समर्थन
पीएम मोदी ने ने स्वतंत्र, मुक्त और समावेशी हिंद-प्रशांत के लिए भी भारत के मजबूत समर्थन की पुन: पुष्टि की। मोदी ने कहा, ‘आपकी तरह हम भी बहुपक्षवाद में भरोसा करते हैं। हम स्वतंत्र, मुक्त और समावेशी हिंद-प्रशांत का समर्थन करते हैं। सभी देशों की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करते हैं।’
‘ग्लोबल साउथ‘ की आवाज यूएनएससी में भी मजबूती से सुनी जानी चाहिए
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भी मजबूती से सुनी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, “इसके लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार हमारी साझा प्राथमिकता होनी चाहिए। मैंने क्वाड (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) के तहत हिरोशिमा में ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान के साथ वार्ता की। इस वार्ता में हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया गया। हमने क्वाड की बैठक के दौरान पलाऊ में ‘रेडियो एक्सेस नेटवर्क’ (आरएएन) स्थापित करने का फैसला किया।”