कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने दिया इस्तीफा, लिबरल पार्टी का नेता पद भी छोड़ा
ओटावा, 6 जनवरी। कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के नौ वर्षों का शासन अंतत: खत्म हो गया, जब अपनी ही पार्टी के भीतर लगातार बढ़ते असंतोष के बीच सोमवार को उन्होंने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही उन्होंने लिबरल पार्टी के नेता के पद से भी इस्तीफा दे दिया है। ट्रूडो ने ओटावा स्थित राइडौ कॉटेज में अपने निवास के बाहर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस पद छोड़ने का एलान किया। हालांकि, पार्टी का नया नेता चुने जाने तक वह दोनों पदों पर बने रहेंगे।
नया नेता चुने जाने तक दोनों पदों पर बने रहेंगे ट्रूडो
उल्लेखनीय है कि कनाडा में इसी वर्ष संसदीय चुनाव होने हैं। उससे पहले उनकी पार्टी के भीतर नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठ रही थी। उनके इस्तीफे के बाद ऐसा माना जा रहा है कि तय समय से पहले चुनाव की मांग हो सकती है। ट्रूडो पर पिछले कई महीने से उनकी ही पार्टी के सांसद पद छोड़ने का दबाव बना रहे थे।
गत माह ट्रूडो पर आरोप लगाते हुए डिप्टी पीएम क्रिस्टिया ने पद छोड़ा था
पिछले ही माह उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने ट्रूडो सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए पद छोड़ दिया था। इसके बाद से ट्रूडो लगातार निशाने पर लिए जा रहे थे और दबान इतना बढ़ा कि उन्हें आखिर में पद छोड़ना पड़ा। उन्हीं की तरह उनके पिता पियर ट्रूडो को भी चुनावों से एन पहले प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था।
भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले कनाडाई पीएम रहे ट्रूडो
सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि जस्टिन ट्रूडो भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले कनाडाई पीएम रहे हैं। वह पिछले डेढ़ वर्ष से भारत विरोधी एजेंडा चलाकर अपनी सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को शांत कराना चाहते थे, लेकिन आखिरकार उनकी दाल नहीं गल सकी।
जस्टिन ट्रूडो 2015 से कनाडा के प्रधानमंत्री थे। वह कंजर्वेटिव पार्टी के 10 वर्ष के शासन के बाद सत्ता में आए थे और उनके कार्यकाल की शुरूआत में देश को उसके उदार अतीत की ओर वापस लाने के लिए उनकी सराहना की गई थी। लेकिन हाल के वर्षों में ट्रूडो कई मुद्दों पर मतदाताओं के बीच बेहद अलोकप्रिय हो गए, जिसमें भोजन और आवास की बढ़ती लागत तथा बढ़ता आव्रजन भी शामिल हैं।