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बिहार SIR के प्रथम चरण के आंकड़े जारी – वोटर लिस्ट से 65 लाख नाम हटे, राज्य में कुल 7.24 करोड़ वोटर

बिहार SIR के प्रथम चरण के आंकड़े जारी – वोटर लिस्ट से 65 लाख नाम हटे, राज्य में कुल 7.24 करोड़ वोटर

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नई दिल्ली, 27 जुलाई। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के पहले चरण के आंकड़े जारी कर दिए हैं। इसके अनुसार बिहार में अब 7.24 करोड़ वोटर हैं। पहले यह आंकड़ा 7.89 करोड़ था।

वोटर लिस्ट में अब तक 22 लाख लोगों की मौत हो चुकी है

रिवीजन के प्रथम चरण के बाद 65 लाख नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं। हटाए गए नामों में वे लोग शामिल हैं, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं या फिर कहीं और स्थायी रूप से रह रहे हैं या जिनका नाम दो वोटर लिस्ट में दर्ज था। इनमें से 22 लाख लोगों की मौत हो चुकी हे। 36 लाख मतदाता स्थानांतरित पाए गए जबकि 7 लाख लोग अब किसी और क्षेत्र के स्थायी निवासी बन चुके हैं।

24 जून को शुरू किया गया था अभियान

यह विशेष अभियान 24 जून 2025 को शुरू हुआ था, जिसका उद्देश्य फर्जी, दोहरे नामांकन और स्थानांतरित मतदाताओं को सूची से हटाना और नए योग्य मतदाताओं को जोड़ना था। इस व्यापक पुनरीक्षण के तहत 7.24 करोड़ नागरिकों के वैधता फॉर्म एकत्र किए गए। इसके लिए बूथ स्तर अधिकारी (BLO) और बूथ स्तर एजेंट (BLA) ने अहम भूमिका निभाई। इन्होंने घर-घर जाकर नागरिकों से आवश्यक जानकारी एकत्र की। 25 जुलाई 2025 तक पहले चरण को 99.8% कवरेज के साथ सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी समेत 38 जिलों के डीएम की तारीफ

चुनाव आयोग ने इस सफलता का श्रेय राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, 38 जिलों के डीएम, 243 ERO, 2,976 AERO, 77,895 BLO, और 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के 1.60 लाख BLA को दिया है। इस दौरान BLA की संख्या में 16 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।

अगला चरण एक अगस्त से, पूरे भारत में लागू हो सकती है योजना

अब एक अगस्त से एक सितम्बर 2025 के बीच अगले चरण में ऐसे सभी योग्य नागरिकों को ड्राफ्ट लिस्ट में नाम जुड़वाने का मौका मिलेगा, जिनका नाम किसी कारणवश सूची में शामिल नहीं हो सका है। वहीं जिनके नाम एक से अधिक स्थानों पर दर्ज हैं, उनका नाम केवल एक स्थान पर रखा जाएगा। आयोग ने यह भी बताया कि बिहार में इस अभियान की सफलता को देखते हुए इसे अब पूरे भारत में लागू करने की योजना बनाई जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था मामला

उल्लेखनीय है कि बिहार एसआईआर का विभिन्न विपक्षी दलों ने जबर्दस्त विरोध किया और यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने चार दिन पहले वोटर लिस्ट रिवीजन जारी रखने की अनुमति दी थी। अदालत ने इसे संवैधानिक जिम्मेदारी बताया था।

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) यानी वोटर लिस्ट रिवीजन की टाइमिंग पर सवाल भी उठाए थे। वहीं, अदालत ने चुनाव आयोग से कहा था कि बिहार में SIR के दौरान आधार, वोटर आईडी, राशन कार्ड को भी पहचान पत्र माना जाए।

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