
राजस्थान : सर्व शिक्षा अभियान के संविदा कर्मचारियों को बड़ा तोहफा, सुप्रीम कोर्ट ने दिया नियमितीकरण का आदेश
नई दिल्ली, 20 मार्च। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को बड़ा झटका देते हुए सर्व शिक्षा अभियान (SSA) के संविदा कर्मचारियों के समायोजन का रास्ता साफ कर दिया है। इस क्रम में शीर्ष अदालत ने गुरुवार को राजस्थान सरकार और राजस्थान काउंसिल फॉर एलीमेंट्री एजुकेशन की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। राजस्थान हाई कोर्ट ने SSA कर्मचारियों के नियमितीकरण का निर्देश दिया था। इस ऐतिहासिक फैसले से करीब 748 संविदा कर्मचारियों को रोजगार स्थिरता और समान अधिकार मिलने की उम्मीद जगी है।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान हाई कोर्ट ने लोक जुम्बिश परिषद (LJP) के तहत काम कर चुके संविदा कर्मचारियों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि ये कर्मचारी शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे थे और उन्हें सर्व शिक्षा अभियान में समायोजित करने का पूरा हक है। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सरकार का तर्क था कि ये कर्मचारी प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए भर्ती हुए थे, इसलिए उन्हें सीधे समायोजन का अधिकार नहीं है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए सरकार की दलीलें खारिज कर दीं।
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने पैरवी की जबकि कर्मचारियों की ओर से जितिन चतुर्वेदी ने पक्ष रखा। कोर्ट ने विस्तृत सुनवाई के बाद फैसला सुनाया कि हाई कोर्ट का आदेश पूरी तरह जायज है। इस फैसले ने कर्मचारियों के लंबे समय से चले आ रहे नियमितीकरण के सपने को हकीकत में बदल दिया।
अब राजस्थान सरकार के पास ये है रास्ता
अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा के अनुसार अब राज्य सरकार के पास दो रास्ते हैं – या तो वह इस फैसले को लागू कर कर्मचारियों को समायोजित करे अथवा सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करे। सरकार का मानना है कि इस फैसले से वित्तीय और प्रशासनिक बोझ बढ़ सकता है। हालांकि, कर्मचारियों के लिए यह एक बड़ी जीत है, जो लंबे समय से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे थे।
748 कर्मचारियों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं यह फैसला
यह फैसला उन 748 कर्मचारियों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं है, जो वर्षों से अपनी स्थिति को लेकर चिंतित थे। अब उनके सामने एक सुरक्षित भविष्य की राह खुल गई है। साथ ही, यह निर्णय सरकारी योजनाओं में काम करने वाले अन्य संविदा कर्मचारियों के लिए भी उम्मीद की किरण बन सकता है।