यूपी में सस्ती बिजली का आधार तैयार, योगी कैबिनेट ने 800 मेगावाट की दो तापीय परियोजनाओं को दी मंजूरी
लखनऊ, 11 जुलाई। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने आमजन को सस्ती बिजली देने के लिए आधार तैयार कर दिया है। इस क्रम में सरकार ने 800 सौ मेगावॉट की दो तापीय परियोजनाएं लगाने का फैसला किया। सोनभद्र जिले के ओबरा में लगाई जाने वाली इस परियोजना की अनुमानिक कीमत करीब 18 हजार करोड़ रुपये है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ‘ओबरा डी’ के नाम से प्रस्तावित इस परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने दावा किया कि राज्य में अब तक इस तरह की परियोजना अस्तित्व में नहीं रही है।
इस बीच एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि योगी आदित्यनाथ की अगुआई वाली सरकार ने प्रदेश में उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मुहैया कराने के लिए गंभीर प्रयास शुरू कर दिए हैं। इन्हीं प्रयासों के क्रम में मंगलवार को लोकभवन में योगी की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में सोनभद्र के ओबरा में लगभग 18 हजार करोड़ की लागत से 800-800 मेगावॉट की दो तापीय परियोजनाओं – ‘ओबरा डी’ को मंजूरी प्रदान की गई।
परियोजनाओं को एनटीपीसी के साथ 50-50 प्रतिशत हिस्सेदारी में पूर्ण किया जाएगा
बयान के अनुसार, इन परियोजनाओं को एनटीपीसी के साथ 50-50 प्रतिशत हिस्सेदारी में पूर्ण किया जाएगा। इसमें 30 प्रतिशत की इक्विटी दी जाएगी जबकि 70 प्रतिशत राशि का प्रबंध वित्तीय संस्थानों से किया जाएगा। खास बात यह होगी कि यह राज्य की पहली अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल इकाई होगी। ऐसा संयंत्र अबतक प्रदेश में नहीं बना है। इस तरह के संयंत्र की प्रौद्योगिकी आधुनिक होती है और इनकी दक्षता काफी ज्यादा होती है तथा कोयले का उपभोग भी काफी कम होता है। इसके चलते लागत में भी कमी आती है।
नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री शर्मा ने बताया, ‘वैश्विक निवेशक सम्मेलन के दौरान हमने एनटीपीसी के साथ ओबरा में एक तापीय संयंत्र लगाने का समझौता किया था। इसी समझौते के तहत प्रदेश सरकार और एनटीपीसी ने संयंत्र शुरू करने का निर्णय लिया है, जिसे मंत्रिपरिषद से भी अनुमति प्रदान कर दी गई है।’ उन्होंने बताया कि यह संयंत्र लगभग 500 एकड़ जमीन पर बनेगा और यदि आगे और भूमि की जरूरत होगी तो उसकी भी व्यवस्था की जाएगी। इसकी पहली इकाई के 50 महीने में और दूसरी के 56 महीने में तैयार होने का लक्ष्य रखा गया है।
उपभोक्ताओं को एक रुपये प्रति यूनिट सस्ती बिजली उपलब्ध कराई जा सकेगी
ऊर्जा मंत्री ने बताया, ‘तापीय क्षेत्र में हमारी क्षमता सात हजार मेगावॉट है और ये दो संयंत्र इसके लगभग एक-चौथाई के बराबर बनने जा रहे हैं। अब तक 5.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी जाती है जबकि इस परियोजना से सरकार 4.79 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद सकेगी। इससे उपभोक्ताओं को एक रुपये प्रति यूनिट सस्ती बिजली उपलब्ध कराई जा सकेगी।