पंजाब : सुखबीर सिंह बादल पर स्वर्ण मंदिर परिसर में हमले की कोशिश, बाल-बाल बचे
अमृतसर, 4 दिसम्बर। पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर में आज पूर्वाह्न गोलियां चलाई गईं, जहां पूर्व डिप्टी सीएम व शिरोमणि अकाली दल (SAD) प्रमुख सुखबीर सिंह बादल सहित पार्टी के नेता श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से घोषित धार्मिक दंड के तहत ‘सेवा’ कर रहे थे। इस फायरिंग में सुखबीर सिंह बादल बाल-बाल बच गए। आरोपित नारायण सिंह चौड़ा की ओर से सुखबीर सिंह बादल को गोली मारने की कोशिश की गई, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने सतर्कता दिखाते हुए उसे काबू में कर लिया।
एडीसीपी हरपाल सिंह ने कहा, ‘यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे। सुखबीर सिंह बादल को पहले कवर किया गया था। मैं सुबह सात बजे ही यहां आ गया था। नारायण सिंह चौरा (हमलावर) कल भी यहीं था। पहले ये गुरुघर मत्था टेकने के लिए गया था। इसके बाद बाहर आकर उसने फायरिंग की, लेकिन वो सीधी फायरिंग इसलिए नहीं कर पाया क्योंकि वहां हमारे जवान मौजूद थे। किसी को कोई गोली नहीं लगी है।
BKI के पूर्व सदस्य के तौर पर हमलावर नारायण सिंह चौड़ा की पहचान
सूत्रों के अनुसार हमलावर नारायण सिंह चौड़ा की पहचान बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) के पूर्व सदस्य के तौर पर की गई है। कहा जा रहा है कि वह 1984 में पाकिस्तान गया था और पाकिस्तान से पंजाब में हथियारों और विस्फोटकों की स्मलिंग करता था। हमलावर ने कथित तौर पर गुरिल्ला युद्ध पर पर किताब भी लिखी है। वह बुड़ैल जेलब्रेक मामले में भी आरोपित है और पंजाब की जेल में सजा भी काट चुका है।
श्री अकाल तख्त साहिब ने बादल को सुनाई है सजा
उल्लेखनीय है कि पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से सुनाई गई सजा को भुगतने के लिए स्वर्ण मंदिर परिसर में पहुंचे। मंगलवार को भी वह पूर्वाह्न नौ बजे से मध्याह्न 12 बजे तक स्वर्ण मंदिर में रहे। करीब एक घंटे तक उन्होंने घंटाघर के बाहर सेवादार के कपड़े पहनकर और बरछा पकड़कर पहरेदारी की। इसके बाद उन्होंने एक घंटे तक कीर्तन सुना और आखिर में जूठे बर्तनों को साफ किया।
सुखबीर बादल के अलावा पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया और सुखदेव सिंह ढींढसा ने भी जूठे बर्तन साफ किए। वहीं पार्टी नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा, सुरजीत सिंह रखड़ा, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, महेश इंदर ग्रेवाल ने टॉयलेट साफ किया। सुखबीर सिंह बादल को भी टॉयलेट साफ करने की सजा दी गई थी, लेकिन उनके पैर में फ्रैक्चर होने की वजह से उन्हें इससे छूट दी गई।