रीति-रिवाजों की नहीं बल्कि ‘न्याय की एकरूपता’ बनाना यूसीसी का उद्देश्य : आरिफ मोहम्मद खान
नई दिल्ली, 3 जुलाई। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने देश में एक समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के बहुचर्चित प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा है कि यदि मुस्लिम पर्सनल लॉ इस्लाम का इतना अभिन्न अंग है, तो उन देशों में रहने के खिलाफ मुसलमानों पर कोई फतवा क्यों नहीं है, जो ऐसे पर्सनल कानूनों की अनुमति नहीं देते।
विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने सहित अन्य व्यक्तिगत मामलों में भारत के सभी नागरिकों पर उनके धर्म की परवाह किए बिना लागू होने वाले यूसीसी लाने के प्रस्ताव पर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि समान नागरिक संहिता का उद्देश्य रीति-रिवाजों की एकरूपता नहीं बल्कि ‘न्याय की एकरूपता’ बनाना है।
पर्सनल लॉ इस्लाम का अभिन्न अंग तो हर कोई अमेरिका-यूरोप क्यों भागना चाहता है
आरिफ मोहम्मद खान ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा, ‘अगर मुस्लिम पर्सनल लॉ इस्लाम के अभ्यास का इतना अभिन्न अंग है तो मुसलमान एक स्टैंड क्यों नहीं लेते और फतवा जारी क्यों नहीं करते कि समुदाय के किसी भी व्यक्ति को उन देशों में नहीं रहना चाहिए, जहां यह कानून लागू नहीं है? हर कोई अमेरिका या यूरोप क्यों भागना चाहता है, जहां कोई व्यक्तिगत कानून नहीं है? मुसलमान अमेरिका और ब्रिटेन या पाकिस्तान में पर्सनल लॉ के बिना मुस्लिम के रूप में रह सकते हैं, लेकिन भारत एकमात्र अपवाद है, जहां पर्सनल लॉ न होने पर वे ऐसा नहीं कर सकते।’
विश्व शक्ति बनने का सपना देख रहे भारत की न्याय में एकरूपता होनी चाहिए
उन्होंने कहा, ‘यूसीसी के खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा है कि अगर यह लागू होता है तो मुस्लिम विवाह निकाह के माध्यम से नहीं किया जा सकता है। वस्तुतः रीति-रिवाजों की एकरूपता, या विवाह समारोह की एकरूपता बनाना कानून का उद्देश्य नहीं है बल्कि यह कानून न्याय की एकरूपता से संबंधित है। हम नहीं चाहते कि लोग समान रीति-रिवाजों का पालन करें। विश्व शक्ति बनने का सपना देख रहे भारत की न्याय में एकरूपता होनी चाहिए। मैं एक ही मुद्दे के लिए समान न्याय चाहता हूं, चाहे वह किसी भी धर्म का हो।
मुस्लिम राजाओं ने भी मुस्लिम कानून नहीं बनाया, लेकिन अंग्रेजों ने ऐसा किया
केरल के राज्यपाल ने आगे कहा कि दिल्ली पर शासन करने वाले मुस्लिम राजाओं ने भी मुस्लिम कानून नहीं बनाया। यह अंग्रेज थे, जिन्होंने ऐसा किया। जब से अंग्रेज यहां आए, उन्होंने यही कहा कि भारत एक राष्ट्र नहीं, बल्कि समुदायों का समूह है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने समान नागरिक संहिता को लाने की तैयारी तेज कर दी है। सरकार की ओर से गठित 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर आम जनता और धार्मिक संस्थाओं के प्रमुखों से विचार विमर्श और राय मांगने का कार्य शुरू कर दिया है। हालांकि कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इसे राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी इसके विरोध में है।