1. Home
  2. हिन्दी
  3. राष्ट्रीय
  4. दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा पर लगे आरोपों की होगी जांच, CJI ने गठित की तीन न्यायाधीशों की समिति
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा पर लगे आरोपों की होगी जांच, CJI ने गठित की तीन न्यायाधीशों की समिति

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा पर लगे आरोपों की होगी जांच, CJI ने गठित की तीन न्यायाधीशों की समिति

0
Social Share

नई दिल्ली, 22 मार्च। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए तीन न्यायाधीशों की समिति गठित कर दी है। पिछले दिनों जस्टिस वर्मा के घर से मिली बड़ी नकदी के आरोपों के बाद दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीके उपाध्याय ने आज दिन में इस बाबत रिपोर्ट सौंपी, जिसके बाद सीजेआई ने यह फैसला किया। इसी क्रम में मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय से यह भी कहा गया है कि वह फिलहाल जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपें।

कमेटी में शामिल हैं ये तीन न्यायाधीश

सीजेआई जस्टिस खन्ना ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन की तीन सदस्यीय समिति गठित की है।

दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से रिपोर्ट मिलने के बाद CJI का फैसला

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीके उपाध्याय ने जस्टिस वर्मा के घर से मिली बड़ी नकदी के संबंध में साक्ष्य और जानकारी जुटाने के लिए आंतरिक जांच की रिपोर्ट सीजेआई को सौंपी थी। यह रिपोर्ट, जस्टिस वर्मा का जवाब और अन्य दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए जा सकते हैं।

कौन हैं जस्टिस यशवंत वर्मा?

जस्टिस यशवंत वर्मा की बात करें तो उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बी.कॉम (ऑनर्स) की पढ़ाई की और मध्य प्रदेश के रीवा विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की डिग्री हासिल की। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में उन्होंने कॉरपोरेट कानूनों, कराधान और कानून की संबद्ध शाखाओं के अलावा संवैधानिक, श्रम और औद्योगिक विधानों के मामलों में भी वकालत की।

2016 में स्थायी न्यायाधीश के रूप में ली शपथ

इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में छह जनवरी, 1969 को जन्में 56 वर्षीय जस्टिस वर्मा 1992 में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए थे और उन्हें 13 अक्टूबर, 2014 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उन्होंने एक फरवरी, 2016 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। वह 2006 से अपनी पदोन्नति तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के विशेष अधिवक्ता भी रहे। इसके अलावा 2012 से अगस्त, 2013 तक उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता भी रहे, जब उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया।

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code