रामचरित मानस विवाद पर अखिलेश की सफाई, बोले – जो गलत है वह गलत, लड़ाई 5 हजार साल पुरानी
लखनऊ, 25 फरवरी। यूपी विधानसभा बजट सत्र के छठे दिन सदन में सीएम योगी आदित्यनाथ ने रामचरित मानस की चौपाई का अर्थ समझाया। इसके बाद सपा प्रमुख अखिलेश ने रामचरित मानस को लेकर सफाई दी कि वह रामचरित मानस के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन जो गलत है, वह गलत है। आज की बात नहीं है। यह लड़ाई आज की नहीं वरन 5000 साल पुरानी है।
दरअसल, पिछले दिनों रामचरित मानस के पन्नों को फाड़ने की घटना को देश के 100 करोड़ हिन्दुओं का अपमान बताते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदत्यिनाथ ने शनिवार को विधानसभा में गोस्वामी तुलसीदास रचित पवित्र ग्रंथ की उन चौपाईयों का अर्थ समझाया, जिनपर सपा के स्वामी प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन हुए थे।
सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश के विकास में मील का पत्थर साबित होने वाली ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट से पहले व्यवधान डालने के लिए सपा ने जान बूझकर रामचरित मानस और गोस्वामी तुलसीदास को लेकर नया शिगूफा छेड़ने का प्रयास किया था। मानस की चौपाइयों के विरोध में कुछ पन्नों का फाड़ना वास्तव में देश के 100 करोड़ हिन्दुओं का अपमान करना था। किसी अन्य मजहब के लिए कोई ऐसी हरकत करने की हिम्मत नहीं कर सकता था।
उन्होंने कहा कि रामचरित मानस के सुंदरकांड की चौपाई में यह प्रसंग तब आता है, जब भगवान राम लंका जाने के लिए समुद्र से तीन दिन तक रास्ता मांगते हैं, तब बोलते हैं.. भय बिन होय न प्रीत.. लक्ष्मण जी प्रभु श्रीराम को धनुषबाण देते हैं। भगवान राम तीर का सम्मान करके समुद्र को चेतावनी देते हैं तो समुद्र खड़ा होकर कहता है। तब यह पंक्ति है…
प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्ही, मरजादा पुनि तुम्हारी कीन्ही।