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अजित पवार बोले – ‘पत्नी को बहन के खिलाफ चुनाव लड़वाना मेरी गलती थी’

अजित पवार बोले – ‘पत्नी को बहन के खिलाफ चुनाव लड़वाना मेरी गलती थी’

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मुंबई, 13 अगस्त। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता अजित पवार ने मंगलवार को अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि बीते लोकसभा चुनाव में बहन के खिलाफ पत्नी को चुनाव लड़ाना उनकी गलती थी। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। वह अपनी सभी बहनों से प्यार करते हैं। उल्लेखनीय है कि बारामती लोकसभा क्षेत्र से सुप्रिया सुले के खिलाफ अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार ने चुनाव लड़ा था। हालांकि सुप्रिया सुले ने जीत हासिल की थी।

‘राजनीति को घर के भीतर नहीं आने देना चाहिए

महाराष्ट्र में इसी वर्षांत प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के निमित्त राज्यव्यापी ‘जन सम्मान यात्रा’ पर निकले अजित पवार ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि राजनीति को घर के भीतर नहीं आने देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी सभी बहनों से प्यार करता हूं। मैंने अपनी बहन के खिलाफ सुनेत्रा को मैदान में उतारकर गलती की। ऐसा नहीं होना चाहिए था। लेकिन (एनसीपी के) संसदीय बोर्ड ने यह फैसला लिया था। फिलहाल अब मुझे लगता है कि यह एक गलत फैसला था।’

सुप्रिय बोलीं : ‘मुझे अब तक इस बाबत कोई जानकारी नहीं

इस बीच अजित पवार के इस बयान पर अब विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया भी सामने आ रही है। शरद पवार की बेटी और अजित पवार की चचेरी बहन सुप्रिया सुले ने इस बयान पर कहा कि उन्हें इसके बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है। उन्होंने टीवी नहीं देखा है। वहीं, कांग्रेस नेता मानिकराव ने कहा कि धीरे-धीरे अजित पवार को अपनी सभी गलतियों का एहसास होगा।

बारामती में ननद-भौजाई की हुई थी टक्कर

ज्ञातव्य है कि बीते लोकसभा चुनाव में बारामती की सीट काफी चर्चा में रही थी। वैसे तो बारामती सीट पर लंबे समय से शरद पवार का कब्जा रहा है। लेकिन अजित पवार की बगावत और फिर सुप्रिया सुले के खिलाफ सुनेत्रा पवार को टिकट देने से काफी राजनीतिक हलचल मच गई थी। हालांकि, अजित पवार का दांव उल्टा पड़ा और सुप्रिया ने पिता की सीट बरकरार रखी थी।

अजित ने उस वक्त सीनियर पवार को दिया था बड़ा झटका

दरअसल, महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता रहे अजित पवार ने उस वक्त शरद पवार को बड़ा झटका दिया था, जब अपने समर्थित विधायकों के साथ उन्होंने राजभवन पहुंचकर डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली थी। जानकारों का कहना है कि शरद पवार की राजनीतिक विरासत के वारिस के रूप में देखे जाते रहे अजित पवार पिछले कुछ समय से पार्टी में ही एक तरह से अलग-थलग पड़ते जा रहे थे। इसलिए उन्होंने ये कदम उठाया था।

सुप्रिया की बढ़ती सक्रियता से नाखुश चल रहे थे

उस वक्त कहा गया था कि अजित पवार पार्टी में सुप्रिया सुले की बढ़ती सक्रियता से नाखुश थे। इसके बाद शरद पवार और अजित पवार में असली एनसीपी को लेकर लंबे समय तक रस्साकसी चली। आखिरकार चुनाव आयोग ने अजित पवार गुट को असली एनसीपी माना था। इसके साथ ही पार्टी का चुनाव चिह्न घड़ी और पार्टी का नाम भी शरद पवार से छिन गया था।

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