काशी में तमिल समागम के बाद अब ‘गंगा पुष्कर कुंभ’, जुटेंगे आंध्र और तेलंगाना के तीर्थयात्री
वाराणसी, 10 अप्रैल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र और धार्मिक नगरी काशी में तमिल समागम के बाद अब ‘गंगा पुष्कर कुंभ’ के आयोजन की तैयारी है। इसमें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लाखों तीर्थ यात्री शामिल होंगे।
22 अप्रैल से 5 मई तक आयोजन, प्रतिदिन एक लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद
आगामी 22 अप्रैल से पांच मई तक प्रस्तावित आयोजन में रोजाना सैकड़ों बसों से तीर्थ यात्री वाराणसी पहुंचेंगे। यात्रियों की बसों के लिए कई रूट तय किए गए हैं। इनके लिए व्यवस्थाएं बनाने में प्रशासन से लेकर पुलिस भी लगी हुई है। एक अनुमान के अनुसार आयोजन के दौरान प्रतिदिन एक लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है।
डीसीपी आरएस गौतम ने बताया कि ये श्रद्धालु ट्रेनों के अलावा बसों से आएंगे। प्रतिदिन पांच सौ बसों के आगमन और प्रस्थान का अनुमान है। इनके लिए पांच अलग-अलग रूट के अलावा पार्किंग स्थल तय किए गए हैं। रूट, पार्किंग स्थल, हेल्प डेस्क चिह्नित हो चुके हैं।
आंध्र प्रदेश और तेलांगाना के श्रद्धालु अन्य ट्रेनों के अलावा पांच स्पेशल ट्रेनों से आएंगे। ये ट्रेनें कैंट, बनारस के अलावा डीडीयू नगर स्टेशन (मुगलराय) पर आएंगी। श्रद्धालुओं को दर्शन पूजन और ठहराने की व्यवस्था के साथ ही नौकायन की भी व्यवस्था हो रही है।
क्या है गंगा पुष्कर कुंभ
वीवी सुंदर शास्त्री ने बताया कि बृहस्पति ग्रह के मेष राशि में प्रवेश पर गंगा पुष्कर का आयोजन काशी, हरिद्वार और प्रयाग में किया जाता है। 12 राशियों के चक्रों के अनुसार प्रत्येक 12वें वर्ष यह संयोग बनता है। गंगा के अतिरिक्त नर्मदा, सरस्वती, यमुना, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी भमा, पुष्कर सरोवर, तुंगभद्र, सिंधु एवं प्रणीत के किनारे यह आयोजन होता है। इस निमित्त दक्षिणी भारतीय तीर्थ क्षेत्र में जाकर अपने पुरखों का पिण्डदान, श्राद्ध तर्पण आदि के साथ विभिन्न देवालयों की परिक्रमा करते हैं।
नौकाओं की हो रही बुकिंग, शाम ज्यादा पसंद
गौरतलब है कि वाराणसी को ‘सुबह-ए-बनारस’ और लखनऊ को ‘शाम-ए-अवध’ की ख्याति भी है। लेकिन अब यह लोकोक्ति बदल चुकी है। अब सुबह के साथ बनारस की शाम भी मशहूर हो चुकी है। यह लोगों की उत्सुकता बता रही है। गंगा पुष्कर में आने वाले दक्षिण भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए नौकाओं की बुकिंग का आंकड़ा इसका प्रमाण है। 22 अप्रैल से एक पखवारे तक चलने वाले आयोजन के दौरान पांच लाख से अधिक तीर्थयात्रियों के काशी पहुंचने की संभावना है। ज्यादातर यात्रियों ने नौकायन के लिए शाम का समय ही चुना है। इसके लिए प्रत्येक दिन औसतन 230 से 240 बड़ी और मध्यम आकार की नौकाओं की बुकिंग की गई है।