
AIADMK के बाद PMK ने भी UCC से खींचे हाथ, समान नागरिक संहिता को बताया ‘एकता और राष्ट्र’ के खिलाफ
नई दिल्ली, 15 जुलाई। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर जनमत तैयार करने में जुटी सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को एनडीए के ही अंदर पूर्ण समर्थन मिलता नहीं दिखाई दे रहा है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस व आम आदमी पार्टी सहित अन्य कई राजनीतिक पार्टियां रहले ही इस विवादित कानून के विरोध में थीं तो वहीं अब भाजपा के ही सहयोगी दलों का दावा है कि यह कानून देश और देश की एकता के खिलाफ है।
दरअसल, दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) के बाद अब भाजपा गठबंधन के एक अन्य सहयोगी दल पट्टाली मक्कल काची (PMK) ने भी यूसीसी की मुखालफत की है। पीएमके का दावा है कि यह कानून राष्ट्र और देश की एकता के खिलाफ हैं। पीएमके अध्यक्ष डॉ. अंबुमणि रामदास ने 22वें कानून आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखकर बताया है कि उनकी पार्टी यूसीसी का विरोध क्यों कर रही है।
AIADMK पहले ही स्पष्ट कर चुका है रुख
वहीं ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) प्रमुख के। पलानीस्वामी ने बीते दिनों समान नागरिक संहिता पर अपनी राय देते हुए कहा था, ‘2019 के आम चुनाव के लिए जारी हमारी पार्टी के मेनिफेस्टो में रुख पहले ही स्पष्ट कर दिया गया था।
तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने पार्टी के जिला सचिवों की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद कहा था, ‘हमारा घोषणापत्र पढ़ें, हमने इसका स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है।’ घोषणापत्र में ‘धर्मनिरपेक्षता’ विषय के तहत, पार्टी ने 2019 में कहा था, ‘अन्नाद्रमुक भारत सरकार से समान नागरिक संहिता के लिए संविधान में कोई संशोधन नहीं करने का आग्रह करेगी क्योंकि यह भारत में अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।’