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मुंबई : बच्चों को बंधक बनाने वाले रोहित आर्य की पुलिस फायरिंग में मौत, सरकारी टेंडर के पैसे नहीं मिलने से नाराज था

मुंबई : बच्चों को बंधक बनाने वाले रोहित आर्य की पुलिस फायरिंग में मौत, सरकारी टेंडर के पैसे नहीं मिलने से नाराज था

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मुंबई, 30 अक्टूबर। मुंबई के पवई स्थित RA स्टूडियो में गुरुवार को अपराह्न 17 बच्चों को बंधक बनाकर हड़कंप मचा देने वाले आरोपित रोहित आर्य की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई। पुलिस की काररवाई के दौरान हुई फायरिंग में गोली लग लगने के बाद रोहित को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

रोहित आर्य मूल रूप से पुणे का रहने वाला था। वह चेम्बूर की अन्नपूर्णा इमारत की नौवीं मंजिल पर रहता था। दरअसल रोहित के किसी रिश्तेदार का यह कमरा है, जो पिछले चार वर्षों से अमेरिका में रहते हैं। आज पूर्वाह्न करीब नौ बजे रोहित कमरे से निकला था। पुलिस जांच के लिए वहां भी पहुंची।

प्राप्त जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र के तत्कालीन शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर के कार्यकाल के दौरान शिक्षा विभाग के एक स्कूल प्रोजेक्ट का टेंडर मिला था। हालांकि, रोहित का कहना था कि उसे इस प्रोजेक्ट का भुगतान अब तक नहीं किया गया, जिसके चलते वह आर्थिक संकट और मानसिक तनाव में चल रहा था।

खुद को बताता था अन्याय का शिकार, महाराष्ट्र सरकार से नाराजगी

इसी मुद्दे को लेकर उसने कई बार दीपक केसरकर के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किए थे। पुलिस सूत्रों के अनुसार हाल के महीनों में रोहित सोशल मीडिया पर सरकार और सिस्टम के खिलाफ बयान दे रहा था और खुद को अन्याय का शिकार बताता था।

रोहित का दावा था कि ‘माझी शाळा, सुंदर शाळा’ योजना का असली कॉन्सेप्ट उसी ने तैयार किया था। यह विचार उसके द्वारा बनाई गई फिल्म ‘लेट्स चेंज’ से प्रेरित था, जिसे महाराष्ट्र सरकार ने 2022 में लागू किया। उसका आरोप था कि सरकार ने उसका आइडिया, स्क्रिप्ट और फिल्म के अधिकार (rights) तक इस्तेमाल किए, लेकिन न तो उसे क्रेडिट दिया गया, न भुगतान किया गया। उसके अनुसार, ‘उन्होंने मुझसे काम करवा लिया और फिर मेरी मौजूदगी तक नकार दी।’

अनशन पर भी बैठा था रोहित

सरकार की बेरुखी को लेकर रोहित ने कई बार शिक्षा विभाग और तत्कालीन मंत्री दीपक केसरकर के खिलाफ प्रदर्शन किए, यहां तक कि एक महीने तक अनशन भी किया। पुरानी रिपोर्ट्स के अनुसार मंत्री ने आश्वासन दिया था कि उसकी मांगें मानी जाएंगी, लेकिन ज्वॉइंट सेक्रेटरी महाजन ने जांच का हवाला देकर फाइल रोक दी।

सरकार ने कॉन्सेप्ट इस्तेमाल किए, लेकिन पैसे नहीं दिए

अपने पुराने बयान में रोहित ने कहा था – ‘यदि मैंने आत्महत्या की तो दीपक केसरकर, उनके निजी सचिव मंगेश शिंदे, तत्कालीन शिक्षा आयुक्त सूरज मंडरे, तुषार महाजन और समीर सावंत इसके जिम्मेदार होंगे।’ रोहित का कहना था कि उसके कॉन्सेप्ट को न सिर्फ सरकार ने अपनाया, बल्कि उस पर दो करोड़ रुपये तक का बजट आवंटित हुआ, फिर भी उसे न पहचान मिली और  न भुगतान।

विवाद और उपेक्षा से रोहित मानसिक रूप से परेशान था

यह विवाद और उपेक्षा ही शायद रोहित की मानसिक स्थिति को उस हद तक ले गई, जहां उसने बच्चों को बंधक बनाकर अपनी बात मनवाने की कोशिश की। इसी क्रम में रोहित ने गुरुवार सुबह मुंबई के पवई इलाके में स्थित आरए स्टूडियो में वेब सीरीज में एक्टिंग ऑडिशन के बहाने करीब 100 बच्चों को बुलाया था। इस दौरान उसने 17 बच्चों समेत कुल 19 लोगों को बंधक बना लिया और बाकी को बाहर भेज दिया।

मौके पर पहुंची पुलिस ने इलाके को घेर लिया और दो घंटे चले स्पेशल ऑपरेशन के बाद सभी बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला। पुलिस के अनुसार रोहित के पास से एयरगन और कुछ केमिकल पदार्थ बरामद किए गए। ऑपरेशन के दौरान रोहित को गोली लगी, जिसके बाद उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसने दम तोड़ दिया।

बच्चों को बंधक बनाने के बाद जारी किया था वीडियो

बच्चों को बंधक बनाकर रखने के दौरान रोहित का एक वीडियो संदेश भी सामने आया, जिसमें उसने खुद को इस पूरी घटना के पीछे का व्यक्ति बताया। वीडियो में रोहित ने कहा कि यह सब उसने एक प्लान के तहत किया है और उसकी कोई बड़ी वित्तीय मांग नहीं है। उसका दावा था कि उसकी मांगें नैतिकता से जुड़ी हैं। उसने खुद को आतंकवादी न बताते हुए कहा कि वह केवल सवाल पूछना और उनके जवाब पाना चाहता है।

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