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सुप्रीम कोर्ट से ललित मोदी को झटका, खारिज की यह याचिका, जानें पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट से ललित मोदी को झटका, खारिज की यह याचिका, जानें पूरा मामला

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नई दिल्ली, 30 जून। सुप्रीम कोर्ट ने ललित मोदी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने फेमा के उल्लंघन के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनके ऊपर लगाया गया 10.65 करोड़ रुपये का जुर्माना बीसीसीआई को अदा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। हालांकि, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि ललित मोदी को कानून के अनुसार उपलब्ध उपायों का लाभ प्राप्त करने का अधिकार होगा।

पिछले साल 19 दिसंबर को मुंबई उच्च न्यायालय ने ललित मोदी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था, और उनकी वह याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के उल्लंघन के लिए प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उन पर लगाए गए 10.65 करोड़ रुपये के जुर्माने का भुगतान बीसीसीआई को करने का आदेश देने का अनुरोध किया था।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि याचिका पूरी तरह से भ्रामक है क्योंकि फेमा के तहत न्यायिक प्राधिकरण ने ललित मोदी पर जुर्माना लगाया था। ललित मोदी ने अपनी याचिका में कहा कि उन्हें भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था, इस दौरान वह बीसीसीआई की एक उपसमिति, इंडियन प्रीमियर लीग शासी निकाय के अध्यक्ष भी थे।

याचिका में दावा किया गया कि बीसीसीआई को उपनियमों के अनुसार उन्हें क्षतिपूर्ति देनी चाहिए। हालांकि, उच्च न्यायालय की पीठ ने 2005 के उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि बीसीसीआई संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत परिभाषित ‘राज्य’ की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है।

उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट आदेशों के बावजूद ललित मोदी ने 2018 में यह याचिका दायर की। उच्च न्यायालय ने कहा था, ‘‘ईडी द्वारा याचिकाकर्ता (ललित मोदी) पर लगाए गए जुर्माने के संदर्भ में याचिकाकर्ता की कथित क्षतिपूर्ति के मामले में किसी सार्वजनिक कार्य के निर्वहन का कोई सवाल ही नहीं है, और इसलिए, इस उद्देश्य के लिए बीसीसीआई को कोई रिट जारी नहीं की जा सकती।’’

अदालत ने कहा था, ‘‘किसी भी स्थिति में, राहत देना पूरी तरह से गलत है। यह याचिका तुच्छ है, और तदनुसार, हम इस याचिका को खारिज करते हैं।’’ उसने ललित मोदी को चार सप्ताह के भीतर टाटा मेमोरियल अस्पताल को एक लाख रुपये की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया।

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