पी चिदंबरम ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर पीएम मोदी की युद्ध नीति की तारीफ की, बोले – भारत का जवाब बुद्धिमत्तापूर्ण व संतुलित
नई दिल्ली, 11 मई। पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना की काररवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की युद्ध नीति की यह कहते हुए तारीफ की है कि उनके नेतृत्व में भारत द्वारा पाकिस्तान को दिया गया जवाब ‘बुद्धिमत्तापूर्ण और संतुलित’ है। उन्होंने कहा कि गत 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए पर्यटकों पर आतंकी हमले के बाद देश में बदला लेने की आवाजें तेज थीं, लेकिन सरकार ने सीमित सैन्य काररवाई का रास्ता चुनकर एक बड़ा युद्ध टाल दिया।
भारत ने सीमित सैन्य काररवाई का रास्ता चुनकर बड़ा युद्ध टाल दिया
अंग्रेजी दैनिक ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित अपने कॉलम में चिदंबरम ने कहा कि भारत की सैन्य काररवाई सीमित और सुनियोजित थी, जिसका उद्देश्य आतंकी संगठनों की बुनियादी ढांचे को नष्ट करना था। चिदंबरम ने अपने कॉलम में इस काररवाई को पीएम मोदी का समझदारी भरा कदम बताया, क्योंकि इससे भारत ने पूर्ण युद्ध की स्थिति को टालते हुए वैश्विक स्थिरता को प्राथमिकता दी।
दुनिया अब युद्ध बर्दाश्त नहीं कर सकती
चिदंबरम ने कहा कि मोदी के 2022 में व्लादिमीर पुतिन से कहे गए शब्द – ‘यह युद्ध का युग नहीं है’ आज भी दुनिया को याद हैं। यही वजह है कि कई देशों ने भारत को निजी तौर पर युद्ध न करने की सलाह दी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं और पूर्ण युद्ध न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक अस्थिरता पैदा कर सकता था। उन्होंने रूस-यूक्रेन और इजराइल-गाजा संघर्षों का उदाहरण देते हुए कहा कि अब दुनिया युद्ध को बर्दाश्त नहीं कर सकती।
एक्शन की तारीफ
कांग्रेस नेता ने सरकार की गत सात मई की सैन्य काररवाई को ‘वैध और लक्ष्य केंद्रित’ बताया, जिसमें पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) के नौ ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए गए। उन्होंने सराहना की कि भारत ने नागरिक इलाकों या पाकिस्तानी सेना पर सीधा हमला नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान ने विमान मार गिराने के बारे में व्यर्थ दावे किए, लेकिन एक साक्षात्कार में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री हकलाते रह गए और इसके समर्थन में कोई सबूत नहीं दे पाए।’
लश्कर, जैश व TRF जैसे आतंकी संगठनों को समाप्त मान लेना जल्दबाजी होगी
हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि यह मान लेना जल्दबाजी होगी कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और द रेजिस्टेंस फ्रंट जैसे आतंकी समूह पूरी तरह समाप्त हो गए हैं। उनके मुताबिक, इन संगठनों के पास नया नेतृत्व उभरने की क्षमता है और ISI का समर्थन अब भी बना हुआ है।
ब्रीफिंग में महिला सैन्य अधिकारियों को सामने लाना सरकार का स्मार्ट मूव
चिदंबरम ने सरकार की पारदर्शिता की प्रशंसा करते हुए कहा कि मीडिया ब्रीफिंग में महिला सैन्य अधिकारियों को सामने लाना एक ‘स्मार्ट मूव’ था। हालांकि, उन्होंने प्रधानमंत्री को लेकर सवाल भी उठाए और कहा कि न तो वह पीड़ित परिवारों से मिले, न ही ऑल पार्टी मीटिंग में शामिल हुए। उन्होंने इसे मणिपुर जैसी चुप्पी से जोड़ा।
आने वाले दिन चुनौतीपूर्ण होंगे
पाकिस्तान की स्थिति पर भी चिदंबरम ने चिंता जताई और कहा कि क्या फैसला लेने का अधिकार वहां की निर्वाचित सरकार के पास है या सेना और ISI के पास? उन्होंने लिखा कि भारत ने गेंद अब पाकिस्तान के पाले में डाल दी है। अब फैसला पाकिस्तान को करना है कि वह युद्ध चाहता है या अस्थिर शांति। चिदंबरम का मानना है कि आने वाले दिन चुनौतीपूर्ण होंगे और सीमा पर तनाव, रुक-रुक कर गोलीबारी और अस्थिरता बनी रह सकती है।
