केजरीवाल ने चुनाव आयोग की नोटिस का दिया जवाब – ‘यमुना जल पर बयान जनहित के लिए की गई टिप्पणी’
नई दिल्ली, 29 जनवरी। आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक व दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने यमुना के पानी को जहरीला करार देने पर भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की ओर से मिली नोटिस का जवाब दे दिया है। उन्होंने अपने बयान को जनहित में की गई टिप्पणी बताया है।
अरविंद केजरीवाल ने अपने 14 पृष्ठों के जवाब में कहा कि यह टिप्पणी दिल्ली में पीने के पानी की बिगड़ती गुणवत्ता से संबंधित तत्काल और चिंताजनक पब्लिक हेल्थ क्राइसिस के संबंध में की गई थी।
उन्होंने कहा कि दिल्ली हरियाणा से रॉ पानी की आपूर्ति पर निर्भर है। खराब पानी की गुणवत्ता के बारे में दिए गए बयान हरियाणा से प्राप्त रॉ वाटर में गंदगी और गंभीर जहरीला को उजागर करने के लिए किए गए थे।
‘हेल्थ के लिए गंभीर खतरा है दूषित पानी‘
केजरीवाल ने कहा कि हरियाणा से प्राप्त रॉ वाटर अत्यधिक दूषित और जहरीला है और इस पानी में इतनी गंदगी होती है कि दिल्ली में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (डब्ल्यूटीपी) इसे सुरक्षित सीमा के अंदर लाने के लिए संसाधित करने में असमर्थ हैं। यदि इस तरह के जहरीले पानी को लोगों को पीने की मंजूरी दे दी जाए तो इससे स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा और मौत भी हो सकती है।
केजरीवाल ने दलील दी कि उनकी टिप्पणियों को विभिन्न ग्रुपों के बीच दुश्मनी भड़काने या राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक नहीं कहा जा सकता। उन्होंने आगे बताया कि यमुना जल पर उनका बयान 27 जनवरी को दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ द्वारा जारी पत्र पर आधारित था।
कई गुना बढ़ा अमोनिया का स्तर
दिल्ली के पूर्व सीएम ने कहा, ‘पत्र खुद स्वीकार करता है कि हरियाणा से दिल्ली आने वाले पानी में अमोनिया का स्तर कई गुना बढ़ गया है और ये 6.5-7 पीपीएम के स्तर तक पहुंच गया है।’ उन्होंने आगे दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ के पत्र के उस हिस्से की ओर इशारा किया जिसमें कहा गया था कि ‘वजीराबाद बैराज के अपस्ट्रीम में कुछ अनुपचारित सीवेज या औद्योगिक कचरे के मिश्रण के कारण यमुना नदी में अमोनिया बढ़ जाता है।’
‘मेरी टिप्पणी से आचार संहिता का कोई उल्लंघन नहीं हुआ‘
चुनाव आयोग को दिए अपने जवाब में अरविंद केजरीवाल ने पीने के पानी में अमोनिया के अत्यधिक स्तर के कारण स्वास्थ्य जोखिमों की ओर इशारा किया। उनकी टिप्पणी से आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हुआ है। उन्होंने चुनाव आयोग को बताया, ‘दिए गए बयान भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी के तहत पूरी तरह से संरक्षित हैं।’ उन्होंने कहा, ‘दिल्ली के निवासियों के लिए सुरक्षित पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने में सरकारी खामियों को उजागर करने के कृत्य को अपराध घोषित करना कानूनी और संवैधानिक रूप से अस्वीकार्य है।’
केजरीवाल ने चुनावी रैली के दौरान की थी टिप्पणी
गौरतलब है कि गत 27 जनवरी को एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा द्वारा दिल्ली को उपलब्ध कराए जा रहे पानी की खराब गुणवत्ता का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था, ‘लोगों को पानी से वंचित करना इससे बड़ा पाप कुछ भी नहीं है। भाजपा अपनी गंदी राजनीति से दिल्ली की जनता को प्यासा छोड़ना चाह रही है। वे हरियाणा से भेजे जा रहे पानी में जहर मिला रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘यह प्रदूषित पानी इतना जहरीला है कि इसे दिल्ली में मौजूद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट द्वारा उपचारित नहीं किया जा सकता। भाजपा दिल्लीवासियों की सामूहिक हत्या करना चाहती है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे।’
चुनाव आयोग ने बुधवार रात 8 बजे तक मांगा था नोटिस का जवाब
इस टिप्पणी पर भाजपा और कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी और उनके दावों की सत्यता पर सवाल उठाया। इसके बाद चुनाव आयोग ने अरविंद केजरीवाल को नोटिस जारी की थी और उनसे अपने बयानों के समर्थन में तथ्यात्मक सबूत उपलब्ध कराने को कहा। उन्हें बुधवार रात 8 बजे तक की डेडलाइन दी गई थी। इसी क्रम में अरविंद केजरीवाल ने जवाब दाखिल किया और अपने दावों के समर्थन में दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ के पत्र का हवाला दिया और कहा कि ये टिप्पणियां एक नागरिक मुद्दे को उजागर करने के लिए की गई थीं।
