महाराष्ट्र : डिप्टी सीएम अजित पवार नाराज होकर कैबिनेट मीटिंग से बाहर निकले, शाम को करेंगे प्रेस कॉन्फ्रेंस
मुंबई, 11 अक्टूबर। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले शुक्रवार को महायुति सरकार में एक चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया, जब उप मुख्यमंत्री अजित पवार नाराज होकर कैबिनेट बैठक से बाहर चले गए।
बताया जा रहा है कि वित्त मंत्रालय संभाल रहे पवार का विरार-अलीबाग कॉरिडोर परियोजना को लेकर सीएम एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ विवाद हुआ। समझा जाता है कि सीएम शिंदे को इस परियोजना के लिए वित्त मंत्रालय से मंजूरी मिलने की उम्मीद थी, लेकिन पवार ने अब तक इस पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
इस बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख अजित पवार ने आज शाम 6.30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है। अगले हफ्ते महाराष्ट्र चुनाव की तारीखों का एलान होने की उम्मीद है, ऐसे में एनसीपी अपनी चुनावी रणनीतियों पर चर्चा कर सकती है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में पवार के साथ सुनील तटकरे, छगन भुजबल और प्रफुल्ल पटेल समेत एनसीपी के अन्य नेता भी शामिल हो सकते हैं।
अजीत पवार बारामती से चुनाव लड़ेंगे
महायुति में अजीत पवार के नाखुश होने और भाजपा तथा शिवसेना द्वारा पवार को किनारे करने की कोशिशों के बीच यह कहा जा रहा है कि पवार राज्य चुनाव से पहले महायुति से बाहर निकल जाएंगे। हालांकि, एनसीपी नेता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि पार्टी गठबंधन में बनी रहेगी। महायुति के भीतर तनाव पिछले महीने से ही सामने आ रहा है।
बारामती से लंबे समय से विधायक अजित पवार ने शुरू में इस सीट से फिर चुनाव लड़ने में अनिच्छा जताई थी। हालांकि, हाल ही में वरिष्ठ एनसीपी नेता एमपी प्रफुल्ल पटेल ने घोषणा की कि अजित पवार बारामती से चुनाव लड़ेंगे। पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि उनके स्थान पर उनके छोटे बेटे जय चुनाव लड़ेंगे।
महायुति सरकार में तनाव लगातार बढ़ रहा
महाराष्ट्र में महायुति सरकार में भाजपा, अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी और शिवसेना शामिल हैं, जिनके राजनीतिक एजेंडे अलग-अलग हैं। अजीत पवार के अप्रत्याशित रूप से अलग होने से इस गठबंधन की एकता को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं, राजनीतिक विश्लेषक इस बात पर बहस कर रहे हैं कि क्या यह सरकार के भीतर अंतर्निहित असंतोष का संकेत है।
इस घटना ने राजनीतिक विश्लेषकों और नेताओं के बीच गहन चर्चा को जन्म दिया है। कुछ का मानना है कि यह महायुति की स्थिरता के लिए गंभीर चुनौतियां पेश कर सकता है जबकि अन्य संभावित आंतरिक सत्ता संघर्ष के बारे में अटकलें लगा रहे हैं। कुल मिलाकर देखें तो महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में माहौल अब अनिश्चितता से भरा हुआ है।