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संघ ने शुरू किया गर्भ संस्‍कार कार्यक्रम, डॉक्‍टरों से कहा- पेट में बच्‍चे को सुनाई जाए राम कहानी

संघ ने शुरू किया गर्भ संस्‍कार कार्यक्रम, डॉक्‍टरों से कहा- पेट में बच्‍चे को सुनाई जाए राम कहानी

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नई दिल्‍ली, 6 मार्च। ‘गर्भवती महिलाओं को भगवान राम, हनुमान, शिवाजी और स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन और संघर्ष के बारे में पढ़ना चाहिए ताकि बच्चे को गर्भ में ही संस्कार मिल सकें।’ यह सलाह दी है राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े संगठन संवर्धिनी न्‍यास ने। यह संगठन RSS की महिला इकाई, राष्ट्र सेविका समिति के तहत आता है।’

गर्भ संस्कार’ नाम से एक अभियान शुरू किया गया है। इसके तहत, गायनकोलॉजिस्‍ट्स को गर्भवती महिलाओं से संपर्क करने को कहा जाएगा। डॉक्‍टर्स उन्‍हें यह सिखाएंगे कि जन्म से पहले ही बच्चे को भारतीय संस्कृति से कैसे रूबरू कराएं। संवर्धिनी न्‍यास की नैशनल ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी माधुरी मराठे ने कहा, ‘गर्भ से ही संस्कार लाना है। बच्चों को देश के बारे में सिखाना प्राथमिकता है।’

उन्होंने शिवाजी की मां, जीजाबाई का उदाहरण दिया कि कैसे उन्होंने एक राजा के जन्म की कामना की थी। माधुरी ने कहा कि सभी महिलाओं को इसी तरह प्रार्थना करनी चाहिए ताकि बच्चों में हिंदू शासकों के गुण आ सकें।

रविवार को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में एक इवेंट हुआ जिसमें 70-80 डॉक्‍टर्स ने शिरकत की। इनमें से ज्‍यादातर गायनकोलॉजिस्‍ट्स और आयुर्वेद डॉक्‍टर्स थे जो 12 अलग-अलग राज्यों से आए थे। जेएनयू की वीसी शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं, लेकिन नहीं आईं।

  • ‘गर्भ संस्‍कार से DNA भी बदल सकता है’

AIIMS के NMR डिपार्टमेंट की डॉक्‍टर रामा जयासुंदर ने कहा कि विसंगतियों के साथ पैदा होने वाले बच्‍चों की संख्‍या बढ़ रही है। उन्‍होंने कहा कि ‘इससे हैरानी होती है कि गर्भावस्‍था में क्‍या गड़बड़ हो रही है। गर्भ संस्‍कार प्रेग्‍नेंसी के पहले ही शुरू हो जाता है।

जैसे ही कोई कपल बच्‍चे के बारे में सोचता है, आयुर्वेद की बात आ जाती है।’ इवेंट में शामिल सदस्‍यों ने कहा क‍ि ‘गर्भ साफ’ करने के लिए महिलाओं को प्रेग्‍नेंसी के दौरान संस्‍कृत और गीता पाठ करना चाहिए। उन्‍होंने दावा किया कि अगर ‘गर्भ संस्‍कार’ ठीक से किया जाए तो गर्भ में बच्‍चे का DNA भी बदला जा सकता है।

इस इवेंट में LGBTQ पर भी बात हुई। यह कहा गया कि प्रेग्‍नेंसी के दौरान बच्‍चे के लिंग से जुड़ी आकांक्षाओं के चलते आजकल बच्‍चे होमोसेक्‍सुअल होते हैं। डॉ. श्‍वेता डांगरे ने कहा, ‘अगर किसी मां को बेटा हो चुका है और वह दूसरी संतान लड़की चाहती है लेकिन जन्‍म लड़के को देती है तो बच्‍चा होमोसेक्‍सुअल हो सकता है।’

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