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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा – मुख्तार अंसारी उच्च सुविधाएं पाने का हकदार नहीं

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा – मुख्तार अंसारी उच्च सुविधाएं पाने का हकदार नहीं

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प्रयागराज, 18 जनवरी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने माफिया मुख्तार अंसारी को जेल में उच्च श्रेणी की सुविधाएं देने के स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए गाजीपुर का आदेश रद कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि मुख्तार अंसारी के लंबे आपराधिक इतिहास और उसके विरुद्ध दर्ज गंभीर मुकदमों को देखते हुए वह उच्च श्रेणी की सुविधा पाने का हकदार नहीं है।

उच्च श्रेणी की सुविधाएं देने के स्पेशल कोर्ट का आदेश रद

हाई कोर्ट ने साथ ही स्पेशल कोर्ट के आदेश को क्षेत्राधिकार से बाहर का करार देते हुए कहा कि सेशन कोर्ट या हाई कोर्ट को किसी बंदी को उच्च श्रेणी की जेल सुविधा देने की सिर्फ संस्तुति करने का अधिकार है। जेल में बंदी को किस श्रेणी की सुविधा दी जाएगी, इस पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार राज्य सरकार को है। न्यायालय उच्च श्रेणी की सुविधा देने का आदेश नहीं दे सकता है।

राज्य सरकार ने विशेष कोर्ट के आदेश को दी थी चुनौती

न्यायमूर्ति डीके सिंह ने राज्य सरकार की याचिका पर अपर शासकीय अधिवक्ता रत्नेंदु कुमार सिंह और मुख्तार अंसारी के अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय को सुनकर बुधवार को यह आदेश दिया। राज्य सरकार ने याचिका दाखिल कर स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए के 15 मार्च, 2022 के आदेश को चुनौती दी थी।

स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए ने मुख्तार अंसारी के विरुद्ध गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में दर्ज जानलेवा हमले, आपराधिक षड्यंत्र के मुकदमे में वरिष्ठ जेल अधीक्षक बांदा को निर्देश दिया था कि मुख्तार अंसारी को जेल में उच्च श्रेणी की सुविधाएं दी जाएं।

राज्य सरकार लेती है कैदी को दी जाने वाली सुविधा पर अंतिम निर्णय

अपर शासकीय अधिवक्ता रत्नेंदु कुमार सिंह का कहना था कि स्पेशल कोर्ट का आदेश अधिकार क्षेत्र से बाहर का है क्योंकि अदालत को सिर्फ उच्च श्रेणी की जेल सुविधा देने की संस्तुति करने का अधिकार है। इस संदर्भ में अंतिम निर्णय राज्य सरकार जेल मैनुअल के प्रावधानों के तहत कर सकती है। जेल मैनुअल में यह भी स्पष्ट है कि गंभीर अपराधों में लिप्त बंदियों को उच्च श्रेणी की सुविधा नहीं दी जाएगी।

मुख्तार अंसारी के विरुद्ध दर्जनों गंभीर अपराध के मुकदमे हैं। उसका लंबा आपराधिक इतिहास है, इसलिए वह उच्च श्रेणी की जेल सुविधा पाने का अधिकारी नहीं है। कोर्ट का कहना था कि विशेष अदालत ने उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल की धारा 287 के प्रावधानों के तहत उच्च श्रेणी की सुविधा देने का आदेश दिया था जबकि यह मैनुअल 2022 में उत्तर प्रदेश जेल मैनुअल 2022 द्वारा संशोधित किया जा चुका है।

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