कैबिनेट का फैसला : 5 राज्यों के 7,287 गांवों में 4जी आधारित मोबाइल सेवाएं दी जाएंगी
नई दिल्ली, 17 नवंबर। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पांच राज्यों – आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र और ओडिशा के आकांक्षी जिलों के उन गांवों में मोबाइल सेवा के प्रावधान के लिए मंजूरी दे दी है, जो अब तक मोबाइल सेवा के दायरे में नहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसके सहित कुछ अहम फैसले लिए गए।
परियोजना की अनुमानित लागत 6,466 करोड़ रुपये
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि इस परियोजना के तहत आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र और ओडिशा के पांच राज्यों के 44 आकांक्षी जिलों के 7,287 गांवों में, जो मोबाइल सेवा के दायरे में नहीं हैं, 4 जी मोबाइल सेवाएं देने की परिकल्पना की गई है। इस योजना की अनुमानित लागत 6,466 करोड़ रुपये है।
ऐसे आकांक्षी जिले जहां टेलिकॉम टॉवर, कनेक्टिविटी और सड़कें नहीं है। पांच राज्यों आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र और ओडिशा के 44 जिलों के 7,266 गांव में मोबाइल टॉवर की सुविधाएं दी जाएंगी। इस योजना पर 6,466 करोड़ रुपए के व्यय अनुमानित है: केंद्रीय मंत्री @ianuragthakur pic.twitter.com/QnFhv2k6NR
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यूएसओएफ से किया जाएगा इस परियोजना का वित्तपोषण
अनुराग ठाकुर ने बताया कि इस धनराशि में पांच वर्षों का परिचालन व्यय भी शामिल है। इस परियोजना का वित्तपोषण सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि (यूएसओएफ) से किया जाएगा। इस परियोजना को समझौते पर हस्ताक्षर हो जाने के बाद 18 महीने के भीतर, यानी नवंबर 23 तक पूरा कर लिया जाना है।
केेंद्रीय मंत्री ने बताया कि जिन गांवों में ये सेवाएं मौजूद नहीं हैं, उन चिह्नित गांवों में 4जी मोबाइल सेवा के प्रावधान से सम्बंधित कार्य को खुली प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया के जरिये आवंटित किया जाएगा। यह प्रक्रिया यूएसओएफ की मौजूदा प्रणाली के तहत पूरी की जाएगी।
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पांच राज्यों – आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र और ओडिशा के आकांक्षी जिलों के जो दूर-दराज और दुर्गम क्षेत्र मोबाइल सेवा के दायरे में नहीं हैं, वहां मोबाइल सेवाओं का प्रावधान करने का मौजूदा प्रस्ताव डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा, जिससे आत्म-निर्भरता, सीखने की सुविधा, सूचना और ज्ञान का प्रसार, कौशल का उन्नयन और विकास, आपदा प्रबंधन, ई-प्रशासन संबंधी पहलें, उद्यमों और ई-वाणिज्य सुविधाओं की स्थापना, ज्ञान तथा रोजगार अवसरों के लिए शैक्षिक संस्थाओं को पर्याप्त सहायता का प्रावधान, स्वदेशी निर्माण और आत्मनिर्भर भारत आदि को प्रोत्साहित करने के सम्बंध में डिजिटल इंडिया का विजन पूरा होगा।