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हिमाचल प्रदेश : बादल फटने के बाद 56 लोग अब भी लापता, मृतकों की संख्या 19 पहुंची, 370 को सुरक्षित बचाया गया

हिमाचल प्रदेश : बादल फटने के बाद 56 लोग अब भी लापता, मृतकों की संख्या 19 पहुंची, 370 को सुरक्षित बचाया गया

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शिमला/मंडी, 3 जुलाई। हिमाचल प्रदेश में बीते दिनों कई जगह बादल फटने से मची तबाही में मरने वालों की संख्या 19 तक जा पहुंची है। मंडी जिले में लापता लोग 34 से बढ़कर 56 हो गए हैं। इनमें सर्वाधिक 46 लोग सराज क्षेत्र के हैं। थुनाग में आठ, गोहर में छह लोगों की मौत, करसोग में एक की मौत, कांगड़ा में दो, नादौन और जोगिंद्रनगर में एक-एक जान गई है। 370 लोगों को सुरक्षित बचाया गया है।

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मंडी के प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद रेस्क्यू और आपदा राहत के लिए वायुसेना की मदद मांगी है। सराज के थुनाग में 16, पखरैर में 18, जरोल में 7, चिऊणी में 4 और पांडवशीला में एक व्यक्ति लापता है। गोहर उपमंडल के स्यांज और बाड़ा परवाड़ा में छह लोगों की मौत हुई हैं जबकि आठ लापता हैं। करसोग उपमंडल में एक की मौत हुई है जबकि दो लोग लापता हैं। बादल फटने और भूस्खलन के चलते थुनाग और जंजैहली उपमंडल में सड़कें ध्वस्त हो गई हैं। कई क्षेत्रों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और प्रशासन की टीमें राहत एवं बचाव कार्यों में लगी हैं।

मानसून सीजन में अब तक 63 लोगों की मौत

उल्लेखनी है कि बीते सोमवार की रात बादल फटने और मूसलाधार बारिश व भूस्खलन से प्रदेश में 100 से अधिक सड़कें अभी भी अवरुद्ध हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार मंडी में 154  घर, 106 गोशालाएं, 14 पुल ध्वस्त हो गए हैं। 31 गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गई हैं। 164 मवेशियों की मौत हुई है। प्रदेश में सैकड़ों बिजली ट्रांसफार्मर व पेयजल योजनाएं ठप हैं। कुल्लू की बंजार घाटी में फंसे करीब 250 सैलानी सुरिक्षत निकाल लिए गए हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस मानसून सीजन के दौरान 20 जून से दो जुलाई तक प्रदेश में आपदा से 63 लोगों की मौत हो चुकी है और 109 लोग घायल हुए हैं 13 पक्के व 44 कच्चे मकान भी ध्वस्त हो गए। 179 गोशालाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं। कुल 40,702.43 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है। वहीं सड़क हादसों में 26 लोगों की मौत हुई है।

प्रदेश में एक सप्ताह तक मूसलाधार बारिश का अलर्ट

मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार राज्य में 9 जुलाई तक मूसलाधार बारिश जारी रहने का अलर्ट है। 3,4,8 व 9 जुलाई के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है जबकि 5 से 7 जुलाई तक कई भागों में तेज बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी हुआ है। ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सोलन व सिरमौर जिले में अलग-अलग दिन तेज बारिश का ऑरेंज अलर्ट है। ऐसे में लोगों को सतर्क रहने को कहा गया है। नदी-नालों, भूस्खलन के प्रति संवेदनशील स्थलों से दूर रहने की सलाह दी गई है। साथ ही मौसम की स्थिति के अनुसार अपनी यात्रा तय करने को कहा गया है।

अगले 24 घंटों के दौरान कांगड़ा, मंडी, हमीरपुर, शिमला और सिरमौर जिले के कुछ जलग्रहण क्षेत्रों और पड़ोस में मध्यम बाढ़ का खतरा होने की संभावना है। वहीं बीते 24 घंटे के दौरान पच्छाद में 133.3, मैहरे बड़सर 92.0, जुब्बड़हट्टी 59.4, जटोन बैराज 56.0, ऊना 55.2, बैजनाथ 55.0, नाहन 42.5, ब्राह्मणी 42.2, बग्गी 37.5, बीबीएमबी 35.2, मुरारी देवी 34.6, कांगड़ा 32.6 व सराहन में 29.1 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है।

बादल फटने से मनाली-लेह मार्ग पर आया मलबा

इस बीच सोलंगनाला से कुछ दूर पहली स्नो गैलरी के पास भारी भूस्खलन होने से मनाली-लेह मार्ग यातायात के लिए बंद हो गया। बादल फटने से हुई तेज बारिश के कारण स्नो गैलरी के समीप बहने वाला नाला उफान पर आ गया। इससे भारी मात्रा में मलबा सड़क पर आ गया है। डीएसपी मनाली केडी शर्मा ने बताया कि सीमा सड़क संगठन को यातायात बहाल करने के लिए कहा गया है।

जल शक्ति विभाग की 3,698 परियोजनाएं क्षतिग्रस्त : मुकेश

प्रदेश में तेज बारिश और भूस्खलन के कारण ही अब तक जल शक्ति विभाग की 3,698 परियोजनाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं। इनमें 2,786 जलापूर्ति, 733 सिंचाई और 41 सीवरेज परियोजनाएं शामिल हैं। विभाग की ओर से अब तक लगभग 240 करोड़ रुपये की क्षति का आकलन किया गया है।

उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि हालात की गंभीरता को देखते हुए जल शक्ति विभाग को त्वरित काररवाई के निर्देश दिए हैं। विभाग ने युद्धस्तर पर बहाली का कार्य आरंभ कर दिया है। विभाग को प्राथमिकता के आधार पर पेयजल और सीवरेज सेवाओं को बहाल करने के निर्देश दिए हैं। अब तक 1,591 जलापूर्ति परियोजनाओं को अस्थायी रूप से बहाल कर दिया गया है।

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