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योगी सरकार अगले वर्ष मदरसा अधिनियम में करेगी संशोधन, मदरसा बोर्ड की कई डिग्रियां हो जाएंगी अमान्य

योगी सरकार अगले वर्ष मदरसा अधिनियम में करेगी संशोधन, मदरसा बोर्ड की कई डिग्रियां हो जाएंगी अमान्य

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लखनऊ, 27 दिसम्बर। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य में मदरसों को लेकर कानून में अगले वर्ष अहम संशोधन करने जा रही है, जिसके चलते उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम-2004 में बदलाव किया जाएगा। इस बदलाव के बाद मदरसा बोर्ड की कई डिग्रियां अमान्य हो जाएंगी।

कामिल व फाजिल सर्टिफिकेट देने वाले मदरसों को मान्यता नहीं मिलेगी

दरअसल, राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने मदरसा अधिनियम में संशोधन करने संबंधी प्रस्ताव को लेकर विभागीय मंत्रियों के साथ बैठक कर उस पर अपनी सहमति जता दी है। नए वर्ष में इस प्रस्ताव को कैबिनेट से पास कराया जाएगा। इस प्रस्ताव के पास होने के बाद राज्य में कामिल और फाजिल का सर्टिफिकेट देने वाले मदरसों को मान्यता नहीं दी जाएगी और कामिल और फाजिल की डिग्री देने वाले मदरसों की संबद्धता नए सिरे से तय की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण अधिनियम में किया जा रहा संशोधन

उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम में संशोधन सुप्रीम कोर्ट के बीते माह दिए गए फैसले के कारण किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने गत पांच नवम्बर को यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम-2004 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए मदरसा अधिनियम के तहत छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए दी जाने वाली कामिल और फाजिल (ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन) की डिग्री को वैध नहीं माना था।

शीर्ष अदालत ने कामिल और फाजिल डिग्री को अवैध करार दिया था

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मदरसा अधिनियम के तहत छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए दी जाने वाली कामिल और फाजिल (ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन) की डिग्री यूजीसी अधिनियम के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यूपी के करीब 16,000 मदरसों में पढ़ने वाले 12 लाख से अधिक छात्रों और हजारों शिक्षकों को राहत मिली। इसके साथ ही इसका भी खुलासा हो गया कि प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड को कामिल/फाजिल की परीक्षाएं कराने और उसको मान्यता देने का अधिकार नहीं था।

इसके बाद भी वर्षों से बोर्ड कामिल/फाजिल की परीक्षाएं करा रहा था जबकि इसके लिए उसे मान्यता ही नहीं मिली थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य में कामिल/फाजिल के 38 हजार छात्रों के भविष्य को लेकर सवाल उठ खड़ा हुआ तो मदरसा बोर्ड ने पिछले दिनों ही मुंशी/मौलवी और आलिम की परीक्षाएं कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन कामिल/फाजिल की परीक्षा को लेकर बोर्ड ने कोई निर्णय नहीं लिया।

मुस्लिम संगठनों ने इस लेकर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया। ओम प्रकाश राजभर का कहना है कि कामिल/फाजिल वाले मदरसों को भाषा विश्वविद्यालय से संबद्ध करने पर चर्चा तो हुई है, लेकिन मदरसों की संबद्धता को लेकर सबसे बड़ी कठिनाई उनके मानकों पर खरा नहीं उतरना है।

राज्यभर के मदरसों में पढ़ रहे 12 लाख से अधिक छात्र

इस समस्या का जल्द ही निदान खोज लिया जाएगा। यूपी के करीब 23,000 मदरसों में 12 लाख से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं। राज्य के 23,000 से अधिक मदरसों में करीब 16,000 ही मान्यता प्राप्त हैं, इसके अलावा आठ हजार मदरसे गैर मान्यता प्राप्त हैं। इनमें दी जाने वाली कामिल/फाजिल की डिग्री के लिए ही मदरसा अधिनियम में संशोधन किया जा रहा है।

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