सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश से चिंतित उप राष्ट्रपति धनखड़ बोले – ‘ऐसी कल्पना नहीं की थी, जहां जज कानून बनाएंगे’
नई दिल्ली, 17 अप्रैल। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया आदेश पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि भारत में ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी, जहां न्यायाधीश कानून बनाएंगे और कार्यकारी जिम्मेदारी निभाएंगे और ‘सुपर संसद’ के रूप में काम करेंगे।
दरअसल, उप राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का जिक्र कर रहे थे, जिसमें राष्ट्रपति को तीन महीने के भीतर विधेयक पर फैसला लेने की समयसीमा तय की गई है। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब राष्ट्रपति को तय समय में फैसला लेने को कहा जा रहा है।
President of India is a very elevated position. President takes oath to preserve, protect and defend the constitution. This oath is taken only by the President and the Governors.
If you look at the Indian Constitution, the President is the first part of the Parliament. Second… pic.twitter.com/Tfr8c6dPot
— Vice-President of India (@VPIndia) April 17, 2025
‘जज सुपर संसद की तरह काम करेंगे‘
उप राष्ट्रपति धनखड़ ने राज्यसभा के प्रशिक्षुओं के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘एक हालिया फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है। हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है? हमें इसे लेकर बेहद संवेदनशील होने की जरूरत है। हमने इस दिन की कल्पना नहीं की थी, जहां राष्ट्रपति को तय समय में फैसला लेने के लिए कहा जाएगा और यदि वे फैसला नहीं लेंगे तो कानून बन जाएगा।’
Hon'ble Vice-President, and Chairman, Rajya Sabha, Shri Jagdeep Dhankhar presided over the Valedictory Function of the 6th Rajya Sabha Internship Program at Vice-President's Enclave today. #RajyaSabha pic.twitter.com/QPBdLxUkKp
— Vice-President of India (@VPIndia) April 17, 2025
धनखड़ ने कहा, ‘अब जज विधायी चीजों पर फैसला करेंगे। वे ही कार्यकारी जिम्मेदारी निभाएंगे और सुपर संसद के रूप में काम करेंगे। उनकी कोई जवाबदेही भी नहीं होगी क्योंकि इस देश का कानून उन पर लागू ही नहीं होता।’
‘अपने जीवन में मैंने ऐसे दिन की कल्पना नहीं की थी‘
धनखड़ ने हालात पर चिंता जाहिर करते हुए कहा, ‘अपने जीवन में मैंने ऐसे दिन की कल्पना नहीं की थी। राष्ट्रपति देश का सबसे सर्वोच्च पद है। राष्ट्रपति संविधान की सुरक्षा की शपथ लेते हैं जबकि सांसद, मंत्री, उप राष्ट्रपति और जजों को संविधान का पालन करना होता है। हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते, जहां राष्ट्रपति को निर्देश दिए जाएं। आपको सिर्फ संविधान के अनुच्छेद 145 (3) के तहत संविधान की व्याख्या का अधिकार है और वह भी पांच या उससे ज्यादा जजों की संविधान पीठ ही कर सकती है।’
