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उत्तर प्रदेश : अयोध्या में महर्षि ट्रस्ट को झटका, दलित भूमि हस्तांतरण का दस्तावेज अवैध घोषित

उत्तर प्रदेश : अयोध्या में महर्षि ट्रस्ट को झटका, दलित भूमि हस्तांतरण का दस्तावेज अवैध घोषित

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अयोध्या, 6 जनवरी। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट को बड़ा झटका लगा, जब राजस्व अदालत ने ट्रस्ट द्वारा 22 अगस्त,1996 को  10 रुपये के अनरजिस्टर्ड स्टांप पेपर पर दान के रूप में ली गई दलितों की 21 बीघा जमीन ( लगभग 52,000 वर्ग मीटर) की पूरी प्रक्रिया को अवैध मानते हुए उसे घोषित कर दी।

फिलहाल ट्रस्ट के खिलाफ किसी काररवाई की संस्तुति नहीं

हालांकि इस पूरे गोरखधंधे के लिए अयोध्या एआरओ (सहायक रिकॉर्ड अधिकारी) की अदालत ने जमीन वापस लेने के अलावा महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट के खिलाफ किसी भी प्रकार की काररवाई की संस्तुति नहीं की है। सहायक विकास अधिकारी भानसिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री के आदेश पर गठित जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है और उस रिपोर्ट के आधार पर आगे की काररवाई होगी।

ट्रस्ट ने 21 बीघा जमीन फर्जीवाड़े से अपने नाम लिखवा ली थी

गौरतलब है कि महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट ने 1992 से 1996 के बीच बरहटा माझा गांव और आसपास के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर जमीन खरीदी। इन्हीं जमीनों में से 21 बीघा जमीन ऐसी थी, जिसे खरीदने के लिए नियम-कानून दरकिनार कर दिए गए।

उत्तर प्रदेश भू राजस्व संहिता में उल्लेख किए गए कानूनों के तहत गैर दलित को दलित से जमीन खरीदने के लिए जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होती है। लेकिन महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट ने इससे बचने के लिए दलितों की जमीन अपने साथ लाए भरोसे के दलित व्यक्ति रोघई के नाम से खरीद ली।

इसके बाद 22 अगस्त, 1996 को इसी रोघई ने महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट को पूरी 52,000 वर्ग मीटर जमीन 10 रुपये के अनरजिस्टर्ड स्टांप पेपर पर दान दे दी थी। इस तरह बिना रजिस्टर्ड दान अभिलेख के यह पूरी जमीन महर्षि ट्रस्ट के नाम दर्ज हो गई।

एक भूस्वामी महादेव की शिकायत पर हुई काररवाई

फिलहाल जिन दलितों की जमीन खरीदी गई, उन्हीं में से एक महादेव ने राजस्व बोर्ड लखनऊ में इसकी शिकायत कर दी थी। उनका आरोप था कि अवैध तरीके से उनकी जमीन महर्षि ट्रस्ट के नाम स्थानांतरित की गई। इसी शिकायत के बाद फैजाबाद की अतिरिक्त आयुक्त शिव पूजन और अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट गोरे लाल शुक्ला के निर्देशन में जांच कमेटी बनी, जिस पर बीते वर्ष 2021 में अयोध्या के तत्कालीन कमिश्नर और जिलाधिकारी अयोध्या ने संस्तुति दी और यह पूरा मामला सहायक रिकॉर्ड अधिकारी की अदालत में चल रहा था, जिसका फैसला अब हुआ।

जांच रिपोर्ट के बाद हो सकती है बड़ी काररवाई

अयोध्या के जिलाधिकारी नीतीश कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री के आदेश पर शासन स्तर पर गठित जांच टीम ने अयोध्या आकर इस प्रकरण की जांच की है कि महर्षि ट्रस्ट से जुड़ी जमीनों को किन-किन लोगों ने खरीदा है और महर्षि ट्रस्ट के प्रकरण से उनका किस तरह जुड़ाव था। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट तैयार करके शासन को सौप दी है। रिपोर्ट के आधार पर शासन स्तर पर आगे काररवाई की जाएगी।

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