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UP CEO ने अखिलेश यादव के दावे को किया खारिज, कहा- एक भी एफिडेविट मूल रूप से प्राप्त नहीं हुआ

UP CEO ने अखिलेश यादव के दावे को किया खारिज, कहा- एक भी एफिडेविट मूल रूप से प्राप्त नहीं हुआ

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लखनऊ, 6 सितंबर। उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने समाजवादी पार्टी (सपा) के शपथ पत्रों को लेकर शुक्रवार को कहा कि 18 हजार शपथ पत्रों में से एक शपथपत्र भी मूल रूप में संबंधित 33 जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारियों और संबंधित 74 विधानसभा क्षेत्रों के निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों को प्राप्त नहीं हुआ है।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि 18000 शपथ पत्रों के संबंध में अवगत कराना है कि यह मामला चुनाव आयोग से एवं मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तर प्रदेश से संबंधित है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी का कहना है कि जिला निर्वाचन अधिकारियों से जानकारी करने पर यह पता चला है कि चार सितंबर 2025 तक वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम ग़लत ढंग से काटने की शिकायत से संबंधित तथाकथित 18 हजार शपथ पत्रों में से एक शपथपत्र भी मूल रूप में संबंधित 33 जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारियों और संबंधित 74 विधानसभा क्षेत्रों के निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों को प्राप्त नहीं हुआ है।

बयान में कहा गया है कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तर प्रदेश के कार्यालय में भी चार सितंबर 2025 तक इस संबंध में कोई शपथपत्र मूल रूप में प्राप्त नहीं हुआ है। इस शिकायत से संबंधित मूल शपथ पत्र प्राप्त होते ही तत्परता से जाँच पूर्ण कर प्रभावी कार्रवाई की जाएगी और सर्व साधारण को अवगत कराया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने कहा है कि कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) के माध्यम से मतदाता सूचियों में विद्यमान् त्रुटियों को ढूंढकर उनका सुधार किये जाने का समाचार राज्य निर्वाचन आयोग उत्तर प्रदेश के हवाले से विगत दिनों उत्तर प्रदेश के समाचार पत्रों में छपा था।

राज्य निर्वाचन आयोग उत्तर प्रदेश में स्थित पंचायतीराज संस्थाओं एवं नगरीय निकायों के निर्वाचनों से संबंधित मतदाता सूचियों को बनाने एवं इन संस्थाओं व निकायों के चुनाव करवाने का कार्य करता है। बयान में कहा गया है कि इससे भिन्न चुनाव आयोग लोक सभा, विधान सभा एवं विधान परिषद के चुनावों से संबंधित मतदाता सूचियों को बनाने एवं उनके रखरखाव का कार्य करता है और इन सदनों के चुनाव करवाता है।

प्रायः आम जनता में एवं मीडिया में भी इस बात की स्पष्टता नहीं रहती है तथा लोग इन दोनों आयोगों के कार्य में अंतर नहीं जानते हैं। निर्वाचन अधिकारी का कहना है कि सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों में भी बहुधा इस भिन्नता की जानकारी नहीं है। इस अवसर का सदुपयोग कर इस भिन्नता को रेखांकित किया जाता है। एआई का प्रयोग कर मतदाता सूची को शुद्ध किए जाने का समाचार भारत निर्वाचन आयोग से संबंधित नहीं है।

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