केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नए आयकर बिल को दी मंजूरी, करदाताओं को मिलेगी काफी सहूलियत
नई दिल्ली, 7 फरवरी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को नए आयकर बिल को मंजूरी दे दी। यह बिल छह दशक पुराने आईटी अधिनियम की जगह लेगा, जो उन सभी संशोधनों और धाराओं से मुक्त होगा, जो अब प्रासंगिक नहीं रह गए हैं। करदाताओं को काफी सहूलियत प्रदान करने वाले नए बिल की भाषा ऐसी होगी कि लोग इसे कर विशेषज्ञ की सहायता के बिना समझ सकें। इस बिल में प्रावधान और स्पष्टीकरण या कठिन वाक्य नहीं होंगे। इससे मुकदमेबाजी कम करने में भी मदद मिलेगी और इस तरह विवादित टैक्स डिमांड में कमी आएगी।
नए आयकर बिल अगले हफ्ते संसद में पेश किया जाएगा
सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने नए आयकर बिल को मंजूरी दे दी है। अब नया बिल अगले सप्ताह संसद में पेश किया जाएगा और इसे संसद की वित्त संबंधी स्थायी समिति के पास भेजा जाएगा। उल्लेखनीय है कि संसद के मौजूदा बजट सत्र का पहला चरण 13 फरवरी को खत्म हो रहा है। सत्र 10 मार्च को फिर शुरू होगा और चार अप्रैल तक चलेगा।
इसलिए पड़ी नए बिल की जरूरत
दरअसल, इनकम टैक्स लॉ लगभग 60 वर्ष पहले 1961 में बनाया गया था और तब से समाज में, लोगों के पैसे कमाने के तरीके और कम्पनियों के कारोबार करने के तरीके में बहुत सारे बदलाव हुए हैं। समय के साथ आयकर अधिनियम में संशोधन किए गए। देश के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने में तकनीकी प्रगति और बदलावों को देखते हुए, पुराने आयकर अधिनियम को पूरी तरह से बदलने की सख्त जरूरत है।
नए बिल में इनकम टैक्स स्लैब में भी बदलाव की संभावना नहीं
नए बिल के लागू करने का मकसद भाषा और अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाना है। कहने का तात्पर्य यह कि नए कानून में इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव की संभावना नहीं है, क्योंकि यह आमतौर पर वित्त अधिनियम के माध्यम से किया जाता है। गौरतलब है कि वर्ष 2010 में ‘प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक, 2010’ संसद में पेश किया गया था। इसे जांच के लिए स्थायी समिति के पास भेजा गया था। हालांकि, 2014 में सरकार बदलने के कारण विधेयक निरस्त हो गया।
