महाराष्ट्र संकट : उद्धव ठाकरे ने की मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की घोषणा, फेसबुक लाइव में दिया भावुक भाषण
मुंबई, 29 जून। महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक घमासान की परिणति क्या होगी, यह तो भविष्य के गर्भ में है। फिलहाल महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार की अगुआई कर रहे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आखिरकार शिंदे गुट के संख्याबल के आगे हार मान ली और बुधवार की रात सीएम पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी।
राज्य विधानसभा में प्लोर टेस्ट के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद फेसबुक लाइव में इस्तीफे की घोषणा करते हुए ठाकरे ने भावुक भाषण के दौरान कहा, ‘आज मंत्रिमंडल की बैठक हुई, मुझे इसका संतोष है कि बालासाहेब ठाकरे ने जिन शहरों का जो नाम रखा था – औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव – आज हमने उनको वे नाम आधिकारिक तौर पर दे दिए हैं।’
विधान परिषद से भी इस्तीफा, शिवसैनिकों से सड़क पर न उतरने की अपील
उद्धव ठाकरे ने इसके साथ ही विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि उन्हें पद छोड़ने में कोई दुःख नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने राज्यपाल, बागी विधायकों, भाजपा और देवेंद्र फडणवीस पर तंज कसा। साथ ही शिवसैनिकों से सड़क पर नहीं उतरने का आवाहन किया।
औरंगाबाद और उस्मानाबाद के नाम बदलने का संतोष
उद्धव ठाकरे ने अपना संबोधन शुरू करते हुए कहा, ‘आज मंत्रिमंडल की बैठक हुई, मुझे इसका संतोष है कि बालासाहेब ठाकरे ने जिन शहरों का जो नाम रखा था, औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव – हमने उनको वे नाम आधिकारिक तौर पर दिए हैं।’
उन्होंने कहा, ‘एनसीपी और कांग्रेस के लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने मेरा साथ दिया। आज शिवसेना से सिर्फ मैं, अनिल परब, सुभाष देसाई और आदित्य ये चार ही लोग उस प्रस्ताव के पास होने के समय मौजूद रहे।’
कांग्रेस ने बाहर से समर्थन देने की कही बात
ठाकरे ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी नेताओं को धन्यवाद देते हुए कहा, ‘आज कैबिनेट समाप्त होने के बाद अशोक चह्वाण ने मुझसे कहा कि हम आपके साथ हैं, अगर इसलिए दिक्कत हो रही है तो हम महा विकास आघाडी के बाहर जाते हैं और आप को बाहर से समर्थन देते हैं, लेकिन मैंने कहा कि नहीं ऐसा नहीं होता।’
‘फिर से शिवसेना भवन में बैठूंगा, मैं वहां पर गया, जहां मुझे जाना नहीं था‘
ठाकरे ने अपने भावुक संबोधन में कहा, ‘किसके पास कितनी संख्या मुझे इससे मतलब नहीं, कल शायद वो बहुमत साबित कर दें। मुझे सीएम पद छोड़ने का कोई दुख नहीं। मैं सीएम पद छोड़ रहा हूं। साथ ही विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफा देता हूं। मैं कल से शिवसेना भवन जाऊंगा। मैं वहां पर गया, जहां मुझे जाना नहीं था।’
राज्यपाल कोश्यारी पर भी कसा तंज
उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर भी तंज कसते हुए कहा, ‘हम राज्यपाल की बड़ी इज्जत करते हैं। उन्होंने बड़ी ही तेजी के साथ काम किया। यही काम जो हमने विधान परिषद की 12 सीटों को लेकर किया होता तो बड़ा अच्छा होता। हम उनसे उम्मीद करते हैं कि अब इस पर निर्णय लेंगे।’
‘जिन्होंने बालासाहेब के बेटे को मुख्यमंत्री पद से हटाया है, उन्हें खुशी मानाने दीजिए‘
ठाकरे ने शिवसैनिकों से सड़क पर नहीं उतरने का आवाहन भी किया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने बालासाहेब के बेटे को मुख्यमंत्री पद से हटाया है। उन्हें खुशी मानाने दीजिए। जो लोग भाग कार गुवाहाटी गए हैं, उन्हें मुंबई आने दीजिए। जश्न मानाने दीजिए। कोई भी उनके सामने प्रदर्शन नहीं करेगा।
एमवीए गठबंधन के सहयोगियों – एनसीपी और कांग्रेस की कोशिशें नाकाम
देखा जाए तो एकनाथ शिंदे की अगुआई में शिवसेना के ज्यादातर विधायकों की बगावत के कारण अल्पमत में चल रही ठाकरे सरकार को बचाने के लिए एमवीए गठबंधन के दो सहयोगियों – एनसीपी और कांग्रेस ने भरसक प्रयास किया। इसके साथ ही उन्होंने अपने दलों के विधायकों को पूरी तरह से बांधकर रखा, लेकिन इस सरकार की अगुवाई कर रही शिवसेना अपने विधायकों के बगावत को शांत नहीं कर सकी और अंत में उद्धव ठाकरे सरकार की विदाई हो गई।
एकनाथ शिंदे गुट ने बगावत का एलान करते हुए कहा था कि अगर ठाकरे एनसीपी और कांग्रेस को छोड़कर भाजपा के साथ सरकार बना लेते हैं तो वो उद्धव सरकार के साथ बने रहेंगे, लेकिन अगर वह एनसीपी और कांग्रेस के साथ रहते हैं तो बागी गुट उन्हें समर्थन नहीं देगा। इसी बात को लेकर मची भगदड़ में शिवेसना के करीब 39 विधायकों ने शिंदे की अगुआई में ठाकरे सरकार को गिराने के लिए राज्यपाल से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गुहार लगाई थी।