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UPPSC के माध्यम से योगी सरकार ने अनुप्रिया पटेल को दिया जवाब, कहा- आरक्षित पद कैरी फॉरवर्ड की श्रेणी में आते हैं, जो अपरिवर्तनीय है

UPPSC के माध्यम से योगी सरकार ने अनुप्रिया पटेल को दिया जवाब, कहा- आरक्षित पद कैरी फॉरवर्ड की श्रेणी में आते हैं, जो अपरिवर्तनीय है

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लखनऊ, 30 जून। एनडीए की सहयोगी अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की चिट्ठी पर सियासत तेज हो गई है। योगी सरकार ने यूपी लोक सेवा आयोग के जरिए अनुप्रिया पटेल को जवाब दिया है। सरकार ने न सिर्फ अनुप्रिया पटेल के आरोपों को नकार दिया, बल्कि सुबूतों के साथ जवाब भी दिया है।

बता दें कि केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने 27 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी थी। चिट्ठी में कहा गया था कि इंटरव्यू से होने वाली सीधी भर्तियों में ओबीसी और एससी, एसटी कैटगरी के अभ्यर्थियों को नाट फाउंड सुटेबल घोषित करके इन वर्गों से आने वाले किसी अभ्यर्थी का चयन नहीं किया जाता है। साक्षात्कार से नियुक्ति होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में ओबीसी, एससी-एसटी के पदों को अनारक्षित घोषित कर दिया जाता है।

मुख्यमंत्री को लिखे इस पत्र पर यूपी लोक सेवा आयोग ने सरकार को जवाब देते हुए स्थिति स्पष्ट की है। यूपीपीएससी ने कहा है कि आरक्षित पद कभी अनारक्षित नहीं हो सकते हैं। आयोग ने कहा है कि आरक्षित पद कैरी फॉरवर्ड की श्रेणी में आते हैं, उन्हें परिवर्तित करने का कोई प्रावधान नहीं है।

आयोग का कहना कि साक्षात्कार प्रक्रिया कोडिंग आधारित है। जिसमें अभ्यार्थियों के क्रमांक, नाम, रजिस्ट्रेशन संख्या, अनुक्रमांक, श्रेणी और आयु को ढककर सेलो टेप से चिपकाया जाता है। इस तरह व्यक्तिगत विवरण इंटरव्यू काउंसिल के सामने नहीं रखा जाता है। साक्षात्कार परिषद द्वारा नाट फाउंड सुटेबल अंकित नहीं किया जाता है, बल्कि ग्रेडिंग दी जाती है।

आयोग ने कहा है कि इंटरव्यू के बाद इंटरव्यू काउंसिल के सदस्य और प्राविधिक परामर्शदाताओं द्वारा दी गई ग्रेडिंग को औसत के सिद्धांत के आधार पर अंकों में परिवर्तित कर मार्कशीट में अंकित किया जाता है जिस पर सदस्य और प्राविधिक परामर्शदाताओं के हस्ताक्षर होते हैं। इसके बाद उनके सामने ही मार्कशीट का लिफाफा सील किया जाता है।

आयोग ने कहा है कि रिक्तियों के सापेक्ष अगर किसी श्रेणी में अभ्यर्थी न्यूनतम अर्हता अंक हासिल नहीं करते हैं या फिर अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं होते हैं तो ऐसी सभी रिक्तियों को आयोग स्तर पर किसी अन्य श्रेणी में परिवर्तित करने का अधिकार नहीं है। शासनादेश में विहित प्रक्रिया के अनुसार, कार्यवाही करते हुए ऐसी रिक्तियां कैरी फॉरवर्ड की जाती हैं, यानी अगली भर्ती में उन वर्गों के पदों को शामिल कर दिया जाता है।

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